मुख्यमंत्री की जीरो टोलरेंस नीतिः पंचकूला के डीसी दफ्तर का लिपिक सस्पैंड

CHANDIGARH: हरियाणा सरकार प्रदेश में अंत्योदय दर्शन के अनुरूप पंक्ति में अंतिम खड़े व्यक्ति को उसके घर-द्वार पर सरकारी सेवाओं और योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए कृतसंकल्प है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल स्वयं सेवा वितरण की कार्यप्रणाली पर निरंतर निगरानी रखते हैं और उन्होंने अधिकारियों व कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए हुए हैं कि निर्धारित समय-सीमा के अंदर काम करना सुनिश्चित करें, अन्यथा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपने कार्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने आईटी का उपयोग करते हुए नित नए-नए ऑनलाइन पोर्टल और सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं, ताकि आमजन को सुगम और समयबद्ध तरीके से सेवाओं का लाभ मिल सके।

सरकारी काम-काज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने और कार्य में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने की मुख्यमंत्री की जीरो टोलरेंस नीति पर काम करते हुए ही पंचकूला जिले के उपायुक्त ने कार्य में कोताही बरतने के कारण एच.आर.ए. शाखा कार्यालय उपायुक्त पंचकूला के लिपिक अनिल कुमार को निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं।

अनिल कुमार को ई-ऑफिस पर 60 से अधिक दिन तक की लंबित फाइलों के संबंध में संतोषजनक जवाब न प्रस्तुत किए जाने के कारण हरियाणा सिविल सेवाएं दंड एवं अपील नियम, 2016 के दृष्टिगत 11 अक्तूबर, 2021 से निलंबित किया गया है । निलंबन अवधि में अनिल कुमार का मुख्यालय उपायुक्त, पंचकूला होगा तथा वह नगराधीश उपायुक्त कार्यालय पंचकूला की अनुमति से ही अपना मुख्यालय छोड़ सकता है।

सरकारी कर्मचारियों पर काम में लापरवाही बरतने पर की गई कार्रवाई एक उदाहरण है कि अब सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को समयबद्ध तरीके से पारदर्शिता के साथ अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए सेवा वितरण का कार्य करना होगा ताकि आमजन को सरकारी सेवाओं के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने वर्ष 2014 में जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब से ही उनका निरंतर सुशासन पर जोर रहा है । अगर सही मायने में देखा जाए तो तमाम सरकारी महकमों से पडऩे वाले आमजन के रोजमर्रा के काम समय से हो जाएं, उन्हें अपने कामों के लिए बाबुओं का मुँह न ताकना पड़े, सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें, यही सुशासन है। मुख्यमंत्री की जीरो टोलरेंस नीति पर काम करते हुए ही अपनी ड्यूटी में लापरवाही करने वाले सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है, ताकि राज्य में एक उदाहरण प्रस्तुत हो सके कि अब सरकारी काम-काज में लापरवाही और बिना वजह की देरी सहन नहीं की जाएगी।

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