हरियाणा साहित्य अकादमी के प्रांगण में साहित्यकारों ने डॉ. मुक्ता की पुस्तक को सराहा, गोष्ठी में बही काव्य धारा

CHANDIGARH, 8 FEBRUARY: हरियाणा साहित्य अकादमी के प्रांगण में आज विचार और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें अकादमी की पूर्व निदेशक डॉ. मुक्ता की पुस्तक ‘गहरे पानी पैठ पर’ विचार रखे गए। वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने लेखिका का परिचय दिया और बताया कि पुस्तक में आजादी के महोत्सव के अनुसार समसामयिक 75 लेख हैं।

लेखिका डॉ. मुक्ता ने अपनी पुस्तक के बारे में बताया कि इसमें 37 लेख ज्वलंत मुद्दों पर और शेष सकारात्मकता और मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर हैं। इस दौरान सरकारी पत्रिकाओं के संपादन पर भी चर्चा हुई। डॉ. विजेंद्र ने बताया कि इनका संपादन चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, जिसमें हर वाक्य का सोच-समझकर चुनाव करना होता है। प्रेम विज, जो स्वयं सरकारी पत्रिका जागृति के संपादक रहे हैं, ने भी बताया कि हमें एक सीमा में रहते हुए सामग्री का चुनाव करना पड़ता है, जो कई बार अपने आप में एक मुश्किल कार्य हो जाता है। तत्पश्चात काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें प्रेम विज ने ‘नदी की कविता समझने की करते हैं कोशिश’, डा. मुक्ता ने ‘मन चातक तोहे पुकार रहा’, डॉ. विनोद शर्मा ने ‘बात पते की विस्तृत कह जाता हूं’, नीरू मित्तल ‘नीर’ ने ‘प्रेम में स्त्री लरजती है बेल सी, बरसती है बारिश सी’ कविता सुनाई। इन के अतिरिक्त वेनू राव, संतोष गर्ग, बीके गुप्ता, विजेंद्र सिंह, डॉ. इंद्रा राव, लाजपत राय गर्ग, हरेंद्र सिन्हा ने भी अपनी रचनाएं सुनाकर माहौल काव्यमय कर दिया।

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