NEW DELHI: हर साल 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसन दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य पार्किंसन बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करना है। पार्किंसन के कारण चलने-फिरने की गति धीमी पड़ जाती है, मांसपेशियां सख्त हो जाती है और शरीर में कंपन की समस्या पैदा हो जाती है।
दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के तंत्रिका तंत्र विभाग के प्रमुख डॉक्टर राजेंद्र धमीजा ने बताया कि इस समय दुनिया भर में एक करोड़ से अधिक लोग पार्किंसन से ग्रस्त हैं और ये बीमारी मुख्यत 60 साल के ऊपर के लोगों में पाई जाती है। भारत में भी इनकी संख्या निरंतर बढ़ रही है। हालांकि इसके इलाज के लिए कई दवाइयां उपलब्ध हैं।
पार्किंसन के लक्षण
>हाथ-पैरो में जकड़न
>शरीर में कंपन
>कंपन विश्राम की अवस्था में भी होते हैं
>चलते समय संतुलन न रख पाना
>चलने की गति और आवाज धीमी होना
पार्किंसन रोग मस्तिष्क की एक बीमारी है, जिसके होने पर व्यक्ति में धीरे-धीरे लक्षण उत्पन्न होते हैं और रोजमर्रा की गतिविधियां प्रभावित हो सकते हैं। बीमारी समय के साथ बढ़ती है और रोगी का जीवन प्रभावित होता है। इस बीमारी में डोपामेन की डिफिसियेंसी यानि की कमी रहती है।
पार्किंसन का इलाज
> इस बीमारी का इलाज अच्छे से संभव है
>पार्किंसन रोग की जल्द पहचान जरूरी
>सही समय पर इलाज शुरू करें
>दवाएं समय पर लें
>सही इलाज से सामान्य दैनिक जीवन संभव
>बीमारी बढ़ने पर और दवाओं को प्रभाव कम होने पर सर्जरी की आवश्यकता
>रोजाना एक्सरसाइज करें और एक बैलेंस डायट लें
अगर आपके आस-पास में इस तरह के लक्षण का कोई मरीज है तो उसको न्यूरोलॉजिस्ट या एक मोमेंट डिसऑर्डर स्पेशलिस्ट के पास लेकर जाएं और उसका उपचार कराएं।