परशुराम जयंती व अक्षय तृतीया पर ऑनलाइन काव्य गोष्ठी में जुटीं महिला रचनाकार, स्व. केदारनाथ केदार को भी किया याद

PANCHKULA: उमंग अभिव्यक्ति मंच पंचकूला ने परशुराम जयंती व अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में आज एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। मंच की फाउंडर श्रीमती नीलम त्रिखा व शिखा श्याम राणा ने बताया कि यह काव्य गोष्ठी उन्होंने वरिष्ठ साहित्यकार केदारनाथ केदार को समर्पित की। वरिष्ठ साहित्यकार केदारनाथ केदार का 3 दिन पहले ही निधन हो गया था, जिससे चंडीगढ़ ट्राइसिटी के साहित्य समाज को बहुत बड़ा झटका लगा है। श्रीमती नीलम त्रिखा व शिखा श्याम राणा ने कहा कि केदारनाथ केदार साहित्य के एक वटवृक्ष की तरह थे। हर महीने वह अपने निवास स्थान पर नियमित रूप से काव्य गोष्ठी का आयोजन करते थे। आज सभी ने उनको भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

इसके बाद काव्य गोष्ठी में सभी ने स्व. केदारनाथ केदार को याद करते हुए अपनी रचनाएं सुनाईं व भगवान श्री परशुराम का गुणगान किया। साथ ही भगवान परशुराम से कोरोना महामारी से सभी को बचाने की प्रार्थना की। इस काव्य गोष्ठी में कई साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। इनमें नीलम त्रिखा व शिखा श्याम राणा के अलावा डॉ. प्रज्ञा शारदा, दृष्टि त्रिखा, गरिमा गर्ग, नीरजा शर्मा, मधु गोयल कैथल, संगीता शर्मा कुंद्रा, डॉ. ममता सूद कुरुक्षेत्र, मणि शर्मा मनु, गीता उपाध्याय, अलका शर्मा, आभा मुकेश साहनी, रेणुका चुघ मिड्ढा, दिलप्रीत दीपाली, सीता श्याम, नीरू मित्तल नीर, रेणु अब्बी ‘रेणू’, आरती प्रिय, शीला गहलावत सीरत, सुदेश नूर, सुनीता गर्ग, डॉ. कृष्णा नारनौल, स्नेह लता आदि शामिल थीं।

नीलम त्रिखा ने अपनी रचना के माध्यम से भगवान परशुराम से गुहार लगाई, भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी… कोरोना महामारी से बचाकर करो जग का बेड़ा पार जी…। गरिमा गर्ग ने अपनी रचनाओं के माध्यम से कहा, संवाद बहुत हो रहे आज के समाज में…। बाल कवियत्री दृष्टि
त्रिखा ने भगवान परशुराम से गुहार लगाते हुए कहा, हे दादा परशुराम जी, हमारा बेड़ा पार करो…
इस कोरोना महामारी से बचाकर भारत का उद्धार करो…।

रेणु अब्बी’रेणू’ ने प्रदत परस धारण करने वाले रचना सुनाई। आभा साहनी ने तुम आन करो कल्याण हरि रचना सुनाई। रेणुका चुघ मिड्ढा ने अपनी रचना हे विप्र शिरोमणी भगवन , अब तुम ही आकर… सुनाई। नीरजा शर्मा ने अपनी प्रार्थना में कहा, हमारी प्रार्थना को जब मिलेगा साथ तुम्हारा..। सुनीता गर्ग ने अपनी रचना घर-घर की शान है चौखट पर बैठा इंसान है से खूब तालियां बटोरीं। डॉ. कृष्णा आर्या नारनौल ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा, मिला है जन्म मानव का जन्म उद्धार करने को..

गोष्ठी में सुदेश नूर ने कहा, केदार नाथ केदार तो पंचकूला की शान थे.. सबसे प्यार व करते थे शख़्सियत वो महान थे। आरती प्रिय ने अपनी रचना जीवनरेखा पर संकट है.. से वाहवाही लूटी।
मणि शर्मा”मनु ने अपनी रचना दिया बड़ा ही योगदान साहित्य जगत में धरती मां के दुलारो की तरह सुनाकर केदारनाथ केदार को याद किया।

अलका शर्मा ने अपनी रचना, भगवान परशुराम है विष्णु जी के छठे अवतारी, विप्रो के हितकारी,
वैदिक संस्कृति के प्रबलधारी, हम आपकी संतान हैं, आपके साथ ही हमारा कल्याण है..सुनाई।
गीता उपाध्याय ने कहा, “दुख दर्द का ना हो कहीं नामोनिशान फरिश्तों से लगे हर इंसान” मैं पंछी मतवाला हूं, इस बाग में आऊंगा जाऊंगा…। मधु गोयल ने अपनी रचना, दुनिया के कोने-कोने में,
प्रेम के गीत सुनाऊंगा से तालियां बटोरीं। संगीता शर्मा कुंद्रा चंडीगढ़ ने केदार जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कविता और परशुराम जी पर रचना प्रस्तुत क । ममता सूद कुरूक्षेत्र ने अपनी कविता के माध्यम से वक्त का महत्व बताते हुए वक्त बीत जायेगा, हाथ नआयेगा, कद्र कर इसकी, नहीं तो पछतायेगा रचना सुनाई।

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