हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र: नौकरियों में भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा- मुख्यमंत्री

विपक्ष को दी चुनौती- गड़बड़ी करने वालों की जानकारी दें, तत्काल होगी कार्रवाई

CHANDIGARH: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हमारी सरकार काबलियत पर भर्ती करने के अपने नारे पर पूरी तरह से कायम है। नौकरियों में भ्रष्टाचार करने वालों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। राज्य चौकसी ब्यूरो द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने वाले गिरोह को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। इस मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच जारी है। यदि विपक्ष के पास भी प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी से जुड़ी कोई जानकारी है तो वे राज्य चौकसी ब्यूरो या कोर्ट को दें, उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

मुख्यमंत्री हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन स्थगन प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। स्थगन प्रस्ताव पर लगभग 3 घंटे से अधिक चली चर्चा में अनेक सदस्यों ने भाग लिया। कांग्रेस व विपक्ष के कई सदस्यों ने बीच-बीच में अपने भाषण में कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल तो ईमानदार हैं, लेकिन नीचे वाले कुछ लोग अधिकारियों के साथ मिलकर गड़बड़ कर रहे हैं। इनको बख्शा नहीं जाना चाहिए, इनके खिलाफ जांच करवा कर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए।  

कुछ निर्दलीय विधायकों ने भी सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी आपने मेरिट पर ईमानदारी से नौकरियां देने की पहल की है, लेकिन नीचे वालों पर भी लगाम लगनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने शायराना अंदाज में स्थगन प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा कि “मैं तो चिराग हूं, दुश्मनी मेरी अंधेरों से है, हवा तो यूं ही मेरे खिलाफ रहती है।” उन्होंने कहा कि विपक्ष ने अपने स्थगन प्रस्ताव में एक बात बार-बार कही की सीएम ईमानदार है। जब विपक्ष यह बात मानता है कि मैं ईमानदार हूं तो फिर शंका क्यों। मैं विपक्षा का आभार व्यक्त करते हुए विश्वास दिलाता हूं कि किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। हमें अपनी जांच एजेंसी पर पूरा भरोसा है। एचपीएससी में एक व्यक्ति के कारण पूरी संस्था पर सवाल खड़े नहीं किए जा सकते। जिस पर अंगुली उठेगी, उसे पकड़ा जाएगा।

हरियाणा सरकार ने बिना पर्ची और बिना खर्ची के 84 हजार नौकरियां दी हैं, उसमें गरीब व्यक्ति भी शामिल हैं। पूर्व की सरकारों में चेहरा देखकर तिलक किया जाता था। लोग अपने गहने तक बेचकर नौकरियां खरीदते थे लेकिन अब योग्यता के आधार पर बिना किसी पर्ची और खर्ची के नौकरियां दी जा रही हैं। युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा, वर्तमान सरकार में युवाओं का विश्वास बना है, उस उत्साह को बनाए रखते हुए बिना भेदभाव के नौकरियां दी जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग स्वायत निकाय है। आयोग का एक अध्यक्ष और 5 सदस्य हैं। आयोग द्वारा भर्ती के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसमें पूर्ण पारदर्शिता बरती जाती है। आयोग द्वारा संचालित किसी भी लिखित परीक्षा में अब तक प्रश्नपत्र लीक होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। एच.सी.एस. ( कार्यकारी शाखा ) और अन्य संबद्ध सेवाएं 2021 के 155 पदों के लिए विज्ञापन 26 फरवरी 2021 को जारी किया गया था। इन पदों के लिए 1,48,262 उम्मीदवारों ने आवेदन किया। प्रारंभिक परीक्षा 12 सितम्बर 2021 को 13 जिलों में स्थित 535 परीक्षा केंद्रों में आयोजित की गई थी। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 24 सितम्बर 2021 को घोषित किया गया, जिसमें 2041 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया। डेंटल सर्जन के 81 पदों के लिए विज्ञापन 25 फरवरी 2021 को जारी किया गया था। इन पदों के लिए 7,891 उम्मीदवारों ने आवेदन किया। लिखित परीक्षा 26 सितम्बर 2021 को पंचकूला स्थित 29 परीक्षा केंद्रों में आयोजित की गई। लिखित परीक्षा का परिणाम 10 नवम्बर 2021 को घोषित किया गया। जिसमें कुल 220 उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया।

शिकायत मिलने पर ऐसे राज्य चौकसी ब्यूरो ने पकड़े आरोपी

दिनांक 17 नवम्बर 2021 को हरियाणा लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत राज्य चौकसी ब्यूरो के पुलिस थाना पंचकूला में नरेंद्र पुत्र बलराज सिंह निवासी दौलतपुर, हिसार की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि भिवानी निवासी नवीन ने 26 नवम्बर 2021 को एचपीएससी द्वारा आयोजित डेंटल सर्जन भर्ती परीक्षा में उम्मीदवारों का चयन करवाने के लिए पैसों की मांग की थी। शिकायतकर्त्ता के एक परिचित सोमबीर ने इस संबंध में नवीन से संपर्क किया। नवीन ने यह कहते हुए प्रति उम्मीदवार 35-40 लाख रुपये की मांग की कि उम्मीदवार किसी भी सांसद, विधायक या एचपीएससी के सदस्य सोमबीर से जुड़ा नहीं होना चाहिए। फिर नवीन ने अपने दो उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल करवाया।

परीक्षा के बाद नवीन ने उसे बताया कि केवल एक उम्मीदवार दलबीर ने परीक्षा पास की थी। दूसरे ने बहुत अधिक प्रश्न अटेम्पट कर दिए और इसलिए उसके लाभ के लिए ओएमआर शीट में हेरफेर नहीं किया जा सका। दलबीर का नाम चयन सूची में आने के बाद नवीन ने उससे पैसे की मांग की। सोमबीर ने नवीन के साथ 20 लाख रुपये में बात की, उसने बातचीत को रिकॉर्ड किया। नरेंद्र ने राज्य चौकसी ब्यूरो से संपर्क किया। एसबीबी द्वारा ट्रैप लगाकर नवीन पुत्र प्रदीप कुमार निवासी गांव खोट, भिवानी को 20 लाख रुपये लेते पकड़ा गया। नवीन कुमार की स्वीकारोक्ति और जांच के दौरान मिले अन्य साक्ष्यों के आधार पर राज्य चौकसी ब्यूरो ने झज्जर जिले के जमालपुर गांव निवासी अश्विनी शर्मा पुत्र प्रदीप को गिरफ्तार किया और तलाशी के दौरान उसके घर से 1,07,97,000 रुपये की नकद राशि बरामद की।

चौकसी ब्यूरो ने नागर के किया गिरफ्तार

अश्विनी शर्मा से पूछताछ के बाद पता चला कि ये पैसे हरियाणा लोक सेवा आयोग के उप-सचिव, एचसीएस अनिल नागर को दिए जाने थे। अश्विनी ने नागर से बात की जिन्होंने उसे अपने एचपीएससी कार्यालय में पैसे देने के लिए कहा। इस बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया गया और जब नागर ने 18 नवम्बर 2021 को एचपीएससी स्थित अपने कार्यालय में अश्विनी से पैसे लिए तो राज्य चौकसी ब्यूरो द्वारा उसे गिरफ्तार कर लिया गया। नागर के आवास पर तलाशी के दौरान 12 लाख रुपये नकद बरामद हुए। पूछताछ पर नागर ने स्वीकार किया कि उसने अपने सहयोगी आशीष गर्ग के पास पैसे रखे हैं। उसके सहयोगी से 2.10 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए। इस प्रकार जांच प्रक्रिया में अब तक कुल 3.5 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए हैं। इसके अलावा एचसीएस परीक्षा के रोल नंबरों की एक हस्तलिखित सूची नागर के कब्जे से बरामद की गई। इसमें सफल उम्मीदवारों के रोल नंबर शामिल हैं।

नागर ने बताया कि संशय से बचने के लिए उसने स्कैनिंग की शुद्धता को सत्यापित करने के बहाने ओएमआर शीट की रैंडम जांच के लिए कहा और यह सुनिश्चित किया कि सूची में उन उम्मीदवारों के रोल नंबर शामिल हों, जिनके स्कोर में बदलाव किया जाना है। तीनों आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि इसमें करीब 30-32 उम्मीदवार शामिल थे। इनमें से एचसीएस के 13-15 उम्मीदवारों में से 5 पास हुए। डेंटल सर्जन के 17 उम्मीदवारों में से 13 पास हुए। नागर ने सहमत उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाएं मंगाई और उत्तरों में बदलाव करके शीट्स को फिर स्कैन किया।

आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि अनिल नागर ने अश्विनी ( पारू डेटा सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ) को एचसीएस प्रारंभिक और डेंटल सर्जन परीक्षाओं हेतु ओएमआर शीट की स्कैनिंग के लिए काम पर रखा था। अश्विनी ने नवीन से संपर्क किया, जिसने उम्मीदवारों से संपर्क किया। मनी ट्रेल से तीन मुख्य आरोपी व्यक्तियों की पुष्टि होती है, जिसमें उनके कब्जे से या उनकी ओर से रखी गई पूरी 3.5 करोड़ रुपये की राशि बरामद की गई है। जांच से पता चला है कि दो परीक्षाओं, जो कि चल रहे मामले में जांच के अधीन है, के लिए काम आरोपी अश्विनी के स्वामित्व वाली मेसर्स पारु डेटा सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया था और उसके द्वारा किया गया था, न कि जसबीर सिंह स्वामित्व वाली मेसर्स सफेडोट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा। राज्य चौकसी ब्यूरो ने एचपीएससी कार्यालय , पंचकूला में आरोपी अनिल नागर के कार्यालय सहित सभी संदिग्ध स्थानों पर 22.11.21 को एचपीएससी अधिकारियों की उपस्थिति में तलाशी ली और एचसीएस प्रारंभिक परीक्षा और डेंटल सर्जन परीक्षा ( दोनों को नागर के अधीन रखा गया था ) के लिए संदिग्ध उम्मीदवारों की मूल ओएमआर शीट को जब्त कर लिया।

एचपीएससी अधिकारियों द्वारा राज्य चौकसी ब्यूरो टीम को सीसीटीवी फुटेज और अन्य डिजिटल मीडिया वाले डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर भी प्रदान किए गए। उन्होंने राज्य चौकसी ब्यूरो द्वारा मांगे गए अन्य सभी रिकॉर्ड भी प्रदान किए। तीनों आरोपियों को 23.11.21 को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत मंक भेज दिया गया। एचपीएससी के अध्यक्ष और सचिव सहित अन्य अधिकारियों को नियमित रूप से जांच में शामिल किया जा रहा है। एचपीएससी से प्राप्त ओएमआर शीट और डिजिटल मीडिया को फोरेंसिक जांच के लिए अपराध विज्ञान प्रयोगशाला भेज दिया गया है। अनिल नागर के साथ – साथ एचसीएस परीक्षाओं में शामिल हुए। संदिग्ध उम्मीदवारों को नोटिस भेजे गए हैं और उनमें से कुछ जांच में शामिल हुए हैं। अन्य संदिग्ध उम्मीदवार भी जांच में शामिल होने की प्रक्रिया में हैं ताकि उनकी भूमिका का पता लगाया जा सके और उनके दोष की सीमा का मूल्यांकन किया जा सके।

अब तक की गई जांच से यह पता नहीं चला है कि दोषी लोग एचपीएससी द्वारा आयोजित की गई एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा और डेंटल सर्जन परीक्षा के अलावा किसी अन्य परीक्षा में भी गड़बड़ी करने में सफल हुए हैं अथवा नहीं। एचपीएससी मामले में आगे की जांच जारी है।

एचपीएससी में 2014 में किया गया उप सचिव का पद सृजित

मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग में उप सचिव का पद 21.02.2014 से सृजित किया गया था और तब से इस पद पर सरकार द्वारा एचसीएस अधिकारियों की नियुक्ति की जाती रही है। कार्यभार को ध्यान में रखते हुए हर भर्ती से संबंधित गोपनीय कार्य अध्यक्ष द्वारा इनमें से किसी एक अधिकारी को सौंपा जाता रहा। यह प्रक्रिया वर्ष 2014 से जारी है।

सचिव के अनुरोध पर नहीं सौंपा गया था गोपनीय कार्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न भर्तियों का गोपनीय कार्य पूर्व में पदस्थापित उप सचिवों को समय-समय पर सौंपा गया है। एचसीएस एवं अन्य संबद्ध सेवाओं 2021 और डेंटल सर्जन 2021 की भर्ती से संबंधित गोपनीय कार्य तत्कालीन उप सचिव को सौंपा गया था। उपरोक्त भर्तियों से संबंधित गोपनीय कार्य सचिव को नहीं सौंपा गया था क्योंकि इन भर्तियों में उनके परिवार के सदस्य उम्मीदवार थे और उन्होंने अनुरोध किया था कि पारदर्शिता और निष्पक्षता के हित में उन्हें गोपनीय कार्य नहीं सौंपा जाए।

समयबद्ध तरीके से भर्तियां पूरी हो इसलिए बाहरी एजेंसियों से काम लिया जाता है

लिखित परीक्षा के संचालन में कई गतिविधियां शामिल हैं। आयोग में उपलब्ध कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे को ध्यान में रखते हुए और समयबद्ध तरीके से भर्तियां पूरी करने के लिए बाहरी एजेंसियों से कुछ काम लिया जाता है। यह प्रक्रिया 2014 से पहले से जारी है। अन्य लोक सेवा आयोग , भर्ती एजेंसियां और विश्वविद्यालय भी बाहरी एजेंसियों से ऐसी सेवाएं ले रहे हैं। इसी प्रकार सरकार के अन्य विभागों में भी बाहरी एजेंसियों की सेवाएं ली जाती हैं। मैसर्स सफेडॉट ई – सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड नाम की कम्पनी से एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा और डेंटल सर्जन परीक्षा के लिए आवेदन आमंत्रित करने सम्बंधी काम नहीं करवाया गया था। पूर्व में आयोग ने 25.04.2013 को मेसर्स सफेडॉट ई – सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को ऑनलाइन आवेदन पत्र आमंत्रित करने से संबंधित कार्य आवंटित किया था। उसके बाद पत्र दिनांक 03.09.2019 के माध्यम से , उक्त कंपनी की सेवाओं को इस आधार पर बंद कर दिया गया था कि उसका काम संतोषजनक नहीं है और यह तत्काल कार्यों में देरी का कारण बनता है। जिन 10 पदों के अभ्यार्थियों को 21.12.2021 से 27.12.201 तक दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया था, उनका गोपनीय कार्य तत्कालीन उप – सचिव को नहीं सौंपा गया था। इन 10 पदों का रिकॉर्ड भी उप सचिव के पास नहीं था। स्कैनिंग एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करने और उक्त दो लिखित परीक्षाओं बारे निर्णय हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो से रिपोर्ट / सूचना मिलने के बाद आयोग द्वारा लिया जाएगा।

खाली छोड़ी ओएमआर शीट्स की हो रही जांच

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने स्वयं ओएमआर शीट्स को जांच के लिए पुलिस को भेजा है। राज्य चौकसी ब्यूरो ने कोई जांच नहीं की है और एचएसएससी द्वारा विजिलेंस ब्यूरो को कोई दस्तावेज/ ओएमआर शीट नहीं दी गई थी। हालांकि एचएसएससी ने 16 जुलाई 2021 से 26 सितम्बर 2021 तक की अवधि के दौरान आयोजित परीक्षाओं में उम्मीदवारों द्वारा खाली छोड़ी गई ओएमआर शीट की एक सूची स्वयं तैयार की है और इस सूची को इस मामले की जांच करने के लिए पुलिस महानिदेशक, हरियाणा को भेजा गया।  इन उम्मीदवारों ने विभिन्न पदों की परीक्षाओं के दौरान अपनी ओएमआर शीट खाली क्यों छोड़ी और यह भी पता लगाने के लिए कि एक ही प्रश्न हल किए बिना ओएमआर शीट को खाली रखने के लिए उम्मीदवारों को गुमराह करने वाले व्यक्ति कौन हैं। मुख्यमंत्री ने एग्जॉम से लेकर परिणाम आने तक की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से बताया।

बहरहाल मुख्यमंत्री ने स्थगन प्रस्ताव पर विपक्ष को करारा जवाब देते हुए उल्टा उन्हें ही घेरा और बताया कि पूर्व की सरकारों में कई भर्तियां हाईकोर्ट द्वारा भी रद्द की गई। कांग्रेस कार्यकाल में हुई एचसीएस पद की भर्ती में भाई-भतीजावाद की खबरें खूब सुर्खियों में थी। बवंडर तब मचा था जब चयनित 25 एचसीएस में से किसी न किसी मंत्री या नेता के साथ कनेक्शन था। मनोहर लाल ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि जब अधिकतर सदस्यों ने मेरी ईमानदारी पर भरोसा जताया है तो वह भरोसा पूरा बनाए रखें। इस मामले की जांच पारदर्शी एवं निष्पक्ष तरीके से पूर्ण कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में केवल योग्यता के आधार पर बिना पर्ची खर्ची के भर्ती यूं ही जारी रहेगी।

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