CHANDIGARH (NA): चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस में कल प्रत्याशित लेकिन अचानक बड़ा फेरबदल हुआ। इसने प्रदेश कांग्रेस की भीतरी सियासत को 360 डिग्री घुमा दिया है। चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर लंबी राजनीतिक पारी खेलने की इच्छा पाले बैठे प्रदीप छाबड़ा को हटाकर पूर्व मेयर एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुभाष चावला को यहां पार्टी की कमान सौंपे जाने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। क्योंकि निवर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल के बेहद करीबी हैं तो नए अध्यक्ष सुभाष चावला प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत के ज्यादा नजदीकी हैं। इसका विश्लेषण हम बाद में करने वाले हैं, फिलहाल बात करते हैं सुभाष चावला से जुड़े उन बेहद दिलचस्प योग-संयोग और सितारों की, जिन्होंने उनकी ना-नुकुर के बाद भी उन्हें प्रदेश कांग्रेस संगठन की सर्वोच्च कुर्सी तक पहुंचा दिया है।
3 और मंगल से चावला का विशेष जुड़ाव
सुभाष चावला की सियासत और उसमें उनकी बुलंदियों के आए मौकों पर नजर डालें तो चावला से 3 का अंक और मंगल का विशेष जुड़ाव रहा है। अपनी 47 साल की राजनीतिक जीवन यात्रा में सुभाष चावला ने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा, समर्पण व कर्मठता के बूते ब्लॉक कांग्रेस प्रधान, फिर चंडीगढ़ प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर प्रदेश कांग्रेस में महासचिव और उपाध्यक्ष पद तक कई अहम सियासी मुकाम हासिल किए लेकिन चंडीगढ़ में उनकी राजनीतिक बुलंदी का दौर शुरू हुआ उनके नगर निगम पार्षद बनने के बाद। वह पहली बार पार्षद चुनकर जब नगर निगम में पहुंचे तो यह साल था 2001, जिसका जोड़ बनता है 3। इस चुनाव के लिए हुई वोटिंग का रिजल्ट 11 दिसम्बर 2001 को घोषित हुआ था और उस दिन वार था मंगलवार।
इसी संयोग में पहली बार मेयर
सुभाष चावला की राजनीतिक ताकत बढ़ाने मेें 3 के अंक और मंगल का दिलचस्प योग यहीं खत्म नहीं हुआ। उनके राजनीतिक जीवन की आगे की अहम घटनाओं में भी कहीं न कहीं 3 का अंक व मंगल हमेशा मौजूद रहा है। 2001 में पहली बार पार्षद बनने के बाद सुभाष चावला पहली मर्तबा चंडीगढ़ के प्रथम नागरिक यानी मेयर की कुर्सी पर भी जब पहुंचे तो वर्ष था 2003। यानी 2000 के पहले दशक का तीसरा (3वां) साल। दिलचस्प यह भी है कि क्रॉस वोटिंग की कड़ी चुनौती के बीच हुए 2003 के मेयर चुनाव में सुभाष चावला की जीत की पटकथा मंगलवार को ही लिखी गई और इसी मंगल ने अगले दिन उन्हें चंडीगढ़ की राजनीति में अहम पद माने जाने वाले मेयर की कुर्सी पर बैठा दिया था।
3 और मंगल ने फिर बढ़ाया कद
सुभाष चावला की सियासी तकदीर चमकाने वाले मंगल और 3 के अदभुत संयोग ने इसके बाद उनका कद एक बार फिर तब बढ़ाया जब साल की संख्या में 3 का प्रवेश हुआ। यानी वर्ष 2013। इस साल सुभाष चावला पुन: मेयर बने और जिस दिन यानी 1 जनवरी 2013 को वह दोबारा मेयर की कुर्सी पर बैठे, वो दिन भी मंगलवार ही था।
अब पुन: 3 और मंगल के संयोग में मंगल
इसके बाद सुभाष चावला की राजनीतिक जीवन यात्रा में 3 और मंगल ने एक बार फिर मंगल ही मंगल किया है अब 2021 में। गौर करें कि यह 2000 की सदी के तीसरे (3वें) दशक की शुरुआत का साल है और इस दशक के इस वर्ष 21 का जोड़ भी 3 है। इस साल ने सुभाष चावला को चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के संगठन शिखर पर ले जाने में ज्यादा महीने इंतजार भी नहीं कराया। 9 फरवरी को यानी कल उन्हें उनकी पार्टी कांग्रेस की चंडीगढ़ प्रदेश इकाई की सर्वोच्च कुर्सी पर बैठा दिया और देखिए, इस बार भी वार था मंगलवार। चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के उनके नियुक्ति पत्र पर मनोनयन की तारीख मंगलवार की ही है। एक और बड़ा दिलचस्प संयोग भी आपको बता दें कि सुभाष चावला ने जिस वर्ष में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, वो था 1974। इसका जोड़ बनता है 21 यानी 2+1=3।
अब लकी साल में ही निगम चुनाव की चुनौती
अब चावला के नए राजनीतिक मुकाम में 2021 क्या गुल खिलाएगा, यह देखना भी बड़ा दिलचस्प होगा। क्योंकि उनके लिए इस साल में ही नगर निगम चुनाव की चुनौती भी सामने खड़ी है। यह चुनाव भी उनके लिए लकी कहे जा सकने वाले अंक 3 के जोड़ के 12वें (1+2=3) महीने यानी दिसम्बर में होगा।