PANCHKULA: उमंग अभिव्यक्ति मंच पंचकूला की ओर से भारतीय संस्कृति व देश प्रेम से ओतप्रोत काव्य संकलन ‘ए वतन’ का ऑनलाइन भव्य विमोचन किया गया। इस पुस्तक का विमोचन नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला, भारतीय संस्कृति मंत्रालय के पूर्व निदेशक प्रोफ़ेसर सौभाग्य वर्धन ने किया। कार्यक्रम में इस पुस्तक के 22 रचनाकारों के अलावा देश-विदेश से कई वरिष्ठ साहित्यकारों ने हिस्सा लिया।
मंच की फाउंडर श्रीमती नीलम त्रिखा व शिखा श्याम राणा ने बताया कि उनका मंच अब तक सात सांझा संकलन लेकर आ चुका है और एक लघु कथा सांझा संकलन है। इस संकलन में देश प्रेम व भाईचारे की भावना व समाज सेवा के लिए अपने देशवासियों को प्रेरित करने वाली कविताएं होती है। वरिष्ठ साहित्यकारों के अलावा वह अपनी इस पुस्तक में नवोदित लेखकों को भी प्रोत्साहन हेतु कुछ चुनिंदा लेखकों को मौका देते हैं पहले यह सब मंच पर होता था लेकिन जब से लॉकडाउन लगा है कोविड-19 के नियमों का पालन करने हेतु उनके मंच के सब कार्यक्रम अब ऑनलाइन ही हो रहे हैं जिसमें नियमित रूप से काव्य गोष्ठी या वह कोई भी जयंती या जरूरी दिवस होता है उस पर वह जरूर काव्य गोष्ठी रखते हैं जिसमें पूरे देश से ऑनलाइन साहित्यकार उनके साथ जुड़ते हैं और इतना ही नहीं विदेशों से भी साहित्य का ऑनलाइन के माध्यम से उनके साथ जुड़े हैं।
उन्होंने कहा कि मंच ने अब तक दो ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन भी आयोजित किए हैं। मंच का यही प्रयास है की अच्छे विचारों को अपनी भारतीय संस्कृति को कविताओं के माध्यम से दूर-दूर तक फैलाएं और देश में भाईचारा व जागरूकता लेकर आए।
ए वतन सांझा संकलन में भाग लेने वाले रचनाकारों के नाम इस तरह से हैं:- नीलम त्रिखा, शिखा श्याम राणा, अलका शर्मा बोस, संगीता पुखराज, डॉ. सरिता मेहता, सुषमा मल्होत्रा, अलका शर्मा, डॉ प्रज्ञा शारदा, निशा वर्मा, ओपी सिहाग, दीपिका बहुगुणा, नव्याजलि, हर्षित बोस, दृष्टि त्रिखा, सीता श्याम, रेणु अब्बी रेणु, शीनू वालिया, रजत शर्मा, साहिल राणा, डॉ हरविंदर कौर,उमा कपाटिया और डॉ. निम्मी वशिष्ठ।
प्रोफेसर सौभाग्य वर्धन ने इस पुस्तक की संपादक नीलम त्रिखा व शिखा श्याम राणा को बधाई दी और सभी रचनाकारों की बहुत ही उत्कृष्ट रचनाओं के लिए उनकी प्रशंसा की व सभी रचनाकारों के सुखद भविष्य की मंगल कामना करते हुए इसी तरह से आगे बढ़ते रहने का संदेश भी दिया और सब को बधाई दी।
नीलम शिखा व शिखा श्याम राणा ने इस कार्यक्रम में विशेष तौर मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर सौभाग्य वर्धन का धन्यवाद किया और साथ ही साथ इस कार्यक्रम में उमंग अभिव्यक्ति मंच के साथ जुड़ने पर पुणे से श्री साईं फाउंडेशन के अध्यक्ष संजय भाऊ का धन्यवाद किया और साथ ही साथ वरिष्ठ साहित्यकार और समाज सेविका श्रीमती गायत्री कौशल व डॉक्टर ममता सूद जी का कुरुक्षेत्र, श्रीमती कृष्णा आर्य नारनौल, संगीता शर्मा कुंद्रा गरिमा गर्ग, नीरजा शर्मा, स्वदेश कपूर का धन्यवाद किया जिन्होंने इस कार्यक्रम में जुड़ कर सभी रचनाकारों को प्रोत्साहित किया। यूएसए से खास तौर पर जुड़ी वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सुषमा मल्होत्रा का भी मंच ने धन्यवाद किया। साथ ही डॉक्टर सरिता मेहता का भी धन्यवाद किया। वह दोनों इस पुस्तक का हिस्सा भी हैं और अमेरिका में रहकर अपने भारतीय संस्कृति का परचम वहां पर लहरा रहे हैं। ऑनलाइन के इस कार्यक्रम में देश-विदेश से जुड़ने वाले सभी लेखकों और वरिष्ठ साहित्यकारों का भी धन्यवाद किया।
कार्यक्रम में इस पुस्तक से कहीं रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समा बांध दिया नीलम त्रिखा ने अपनी रचना के माध्यम से कुछ यूं कहा
ले तिरंगा हाथ में,युवाओं के साथ में ….
नए दौर की नई कहानी लिखने मैं तो चल पड़ा हूं…..
वही शिखा श्याम राणा ने अपनी रचना के माध्यम से मानवता पर कटाक्ष करते हुए कुछ यूं कहा
बेटी होने से कौन डरता है जनाब….डर तो इंसान के जानवर हो जाने का लगता है…..
बाल कवियत्री दृष्टि त्रिखा ने अपनी कविता के माध्यम से कुछ नहीं कहा
कश्मीर से कन्याकुमारी तक तू हरा-भरा रंग रंगीला है…. मेरे वतन का रूप देखो कितना सजीला है….
अलका शर्मा बोस ने कोरोना योद्धाओं को नमन करते हुए कहा
अ मेरे देश के कोरोना योद्धा!
तुम्हें नमन! तुम्हें नमन!! तुम्हें नमन!!!….
हर्षित बोस ने अपनी रचना मेरा सुंदर देश का पाठ करते हुए कहा
कितना सुन्दर देश है मेरा!
तेरी शान, मेरा मान
दे दी शहीदों ने जान…
नव्यांजली ने कोरोना के बारे में कहा
कोरोना रोग बुरा है पर दौर बुरा नहीं है….
रजत शर्मा ने तेरे इश्क़ में कविता का पाठ किया …
माफ करना मुझे मगर
तेरे इश्क़ में खोया जा रहा हूं….
शाहिल राणा ने इंसान की इंसानियत कविता सुनाते हुए कहा
ऐ इंसान, कहां गयी इंसानियत तेरी….
दीपिका बहुगुणा ने हरेक एहसास में तुम हो कविता सुनाते हुए कहा
मेरे संग चल रही वायु के हरेक एहसास में तुम हो….
निशा वर्मा ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा – ख्वाईशों की कोई सीमा नहीं होती।
डा. निम्मी वशिष्ठ ने कहा जी लो इस पल को ..जी भर यारो जो है हथेली में
मत उलझे रहो..आगे पीछे की पहेली में
रेणु अब्बी’रेणू’ ने सकारात्मक संदेश देते हुए कहा – जिंदगी के हसीन पलों को संभाला करो ,खुशियां बांटो और सब को हंसाया करो । अलका शर्मा ने शब्दों की महिमा बताते हुए अपनी रचना “शब्द मुझे तुम्हारा साथ चाहिए” को प्रस्तुत किया।
वहीं दूसरी ओर शीनू वालिया ने अपनी कविता की चन्द पंक्तियों “ भूलकर सब वो पिछली बातें, नये वक़्त के साथ चलो।
जो होना था बहुत हुआ अब थाम के सब के हाथ बढ़ो “ द्वारा सभी को फिर से एक साथ मिलकर
चलने के लिए प्रेरित किया।
सीता श्याम ने अपनी रचना कोई तो बात होगी जो दुनिया है दीवानी आओ तुम्हें सुनाऊँ मेरे देश की कहानी रचना सुनाई।
डॉ. सरिता मेहता ने फ़ौजी वीरों को नमन करते हुए , अपनी कविता’ मेरा भारत मेरा प्यारा वतन … खून के हर कतरे के संग, मेरी रगों मे बहता है” के माध्यम से देशप्रेम का संदेश दिया। डॉक्टर हरविंदर कौर जी ने अपनी रचना ‘अंदर का भगत सिंह मरता नहीं’ का पाठ करते हुए बताया कि सब तरह से दबाने की कोशिश के बावजूद हमारे अंदर भगत सिंह नाम की ज्वाला सदा जलती रहती है।
और ‘पांच तत्व के पुतले को
देखो कैसे ड़रा है कोरोना ।
जीवन भर नही किया होगा
इतना त्राहि – त्राहि ओर रोना’ संगीता ” पुखराज ” ने खूबसूरत कविता पेश की ।