उमंग अभिव्यक्ति मंच ने मनाया पर्यावरण दिवस: महिला रचनाकारों ने कविताओं के जरिए दिया पौधारोपण का संदेश

PANCHKULA: उमंग अभिव्यक्ति मंच पंचकूला ने पर्यावरण दिवस के मौके पर पर्यावरण संरक्षण की खातिर अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए अपने सदस्यों को जागरूक किया। मंच की फाउंडर नीलम त्रिखा ने बताया कि इस दौरान एक मुहिम के तहत सभी ने पौधे लगाए और अपनी जागरुकता भरी कविताओं से सभी को सम्मोहित कर दिया। सभी ने अपनी कविताओं से अपनी धरा को हरा-भरा रखने का संदेश देते हुए अपने आसपास में खुली जगह पौधे लगाने को कहा, क्योंकि बरसात आने वाली है और ऐसे मौसम में हर पौधा बहुत जल्दी से फलता है।

इस अवसर पर नीलम त्रिखा, शिखा श्याम राणा, राशि श्रीवास्तव, मणि शर्मा ‘मनु’, गरिमा, शीनू वालिया, डॉ. ममता सूद कुरुक्षेत्र, कविता रोहिला, मधु गोयल कैथल, अलका शर्मा, नीरजा शर्मा, निशा वर्मा, सीता श्याम, संगीता शर्मा कुंद्रा, सारिका धूपड़, डा. स्नेहलता, डा. प्रज्ञा शारदा, दिलप्रीत, रेनु अब्बी “रेनू”, रेणुका चुघ मिढ्ढा, आभा मुकेश साहनी, नीरू मित्तल, राधा अग्रवाल कुरुक्षेत्र, डॉ.कृष्णा आर्या आदि रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया।

नीलम त्रिखा ने अपनी कविता के माध्यम से अपनी धरा का गुणगान करते हुए कहा,
हे अनुपम धरा कैसे मैं तेरा सत्कार लिखूं….
राशि श्रीवास्तव ने वृक्षों को अपना मित्र बताते हुये कहा…वृक्ष हमारे मित्र हैं, काम बड़े ही आते हैं
धूप में खुद खड़े रहते, हम पे छाया कर जाते हैं
शीनू वालिया ने प्रकृति की रक्षा को धर्म बताते हुये कहा कि हर शुभ काम से पहले पेड़ लगाने को “धर्म” अगर हम बनाएँगे
सच पूछो तो आने वाली पीढ़ी को, संस्कार सही दे जाएँगे।
कविता रोहिला ने कहा …पेड़ हूं, क्या बस यही कसूर तपन से है छाया देता,करता गर्मी दूर।
दृष्टि त्रिखा पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
धरती को मिल स्वर्ग बनाओ
निशा वर्मा … प्रकृति की पुकार
मैंने सिर्फ तुमको दिया ही दिया है
प्राणवायु, कल कल करता शुद्ध जल,
संगीता शर्मा कुंद्रा ने कहा, मैं पेड़ हूं, मुझे जीवित क्यों नहीं समझते।
डा. स्नेहलता ने कहा, मैं एक पेड़ लगाता हूँ
पूरा जीवन सुख पाता हूँ
सतवंत कौर गोगी गिल ने कहा, मूक प्रकृति करे पुकार मानव कुछ तो सोच विचार
धीरजा शर्मा ने कहा, प्रकृति फुसफुसा रही है,
कुछ कहना चाह रही है ।
रेणुका चुघ मिढ्ढा ने कहा,
आओ मिल , पर्यावरण बचायें,धरती माँ के क़र्ज़ चुकाये ,
सब मिल पेड़ लगाये, अपनी धरा को प्रदूषण मुक्त बनाये।
अलका शर्मा ने कहा ,”कुर्बानी मत दो हरियाली की, अपनी धरा प्यारी की”।

नीरजा शर्मा ने संदेश दिया कि पेड़ लगाओ ,पर्यावरण बचाओ- “पेड़ों के जीवन से गर मानव ले ले सीख
सच मानों दुनिया बदलती जाएगी दीख।”
सारिका धूपड़ ने कहा,” खड़े हुए हैं आँगन में तरु, प्रहरी से,
इनकी लीची, उनके चीकू और मेरे आम।
मंद मंद मुस्काते, आपस मे बतियाते,
कभी न थकते, करते परोपकार, सुबह शाम।
मणि शर्मा “मनु ” ने कहा,
सब मिलकर हम पेड़ लगाएं
पर्यावरण इस तरह बचाएं
सर्वस्व पेड़ सर्वत्र पेड़
इसी जीवन धारा को चलाएं
सीता श्याम ने पेड़ हमारे साथी कविता के माध्यम से कुछ यूँ कहा
साँस लेने के लिए शुद्ध वायु कहाँ से पाओगे अपने लालच के लिए ग़र पेड़ काटते जाओगे
नीरू मित्तल नीर ने अपनी कविता में कहा “उनींदी हो बैठी रही तेरे कठोर प्रहारों से
तूने नहीं संभाली प्रकृति ना ही संस्कृति
मैं माँ वसुधा मैं प्रकृति”
दिल प्रीत “दीपाली” ने कहा, पर्यावरण ही तो है जीने का आधार, जो ये ही ना रहा तो कहाँ रहेगा परिवार
डॉ. प्रज्ञा शारदा ने कहा, पाँच-पाँच सब पेड़ लगाएँ, पानी देखकर खाद डालकर।
जब तक बड़े ना हो जाएंगे, उनकी सेवा खूब करेंगे। नारनौल से पर्यावरणविद डॉ कृष्णा आर्या ने मधुर स्मृतियों के द्वारा बाबा की लगाई त्रिवेणी मुझे याद आ रही है
जीवन की प्राण वायु निशदिन बहा रही है। प्रकृति प्रेम प्रदर्शित किया।

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