उमंग अभिव्यक्ति मंच पंचकूला ने काव्य गोष्ठी के रूप में मनाया आजादी का अमृत महोत्सव

PANCHKULA: उमंग अभिव्यक्ति मंच पंचकूला ने आजादी का अमृत महोत्सव काव्य गोष्ठी के रूप में मनाया। इसमें पंचकूला, मोहाली व चंडीगढ़ के साहित्यकारों ने हिस्सा लिया और कला ग्राम के प्रांगण में अपनी खूबसूरत रचनाओं से माहौल को खुशनुमा बना दिया।

मंच की फाउंडर नीलम त्रिखा ने बताया कि इस कार्यक्रम में जाने-माने शायर शम्स तबरेजी, माइंडवेदा के संस्थापक कमल बिंदुसार, जस्सी के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर की कवयित्री ईशा नाज ने अपनी खूबसूरत आवाज में ताराने सुनाए। इस कार्यक्रम में चंडीगढ से संगीता शर्मा कुंद्रा, राशि श्रीवास्तव, डॉक्टर प्रज्ञा शारदा, सतवंत गोगी गिल, पंचकूला से शीला गहलावत सीरत, मणि शर्मा मनु, रेनू अब्बी, निशा वर्मा, शीनू वालिया, सीता श्याम आदि ने हिस्सा लिया। रचनाकारों ने अपनी अपनी रचनाएं इस तरह से सुनाई-शम्स तबरेजी ने कहा,
किसी के लिए खुद को आजमाना ठीक है क्या….।
नीलम त्रिखा ने सभी को यह खूबसूरत संदेश दिया, आओ अमन की बात करते हैं अहले अपने वतन की बात करते हैं…।
ईशा नाज ने कहा,
लड़के कभी लड़की के जज़्बात नहीं समझे….।
राशि श्रीवास्तव-
फूलों सी नाजुक और प्यारी होती बेटियां,
पड़ जाए ज़रूरत तो हैं फ़ौलाद बेटियां।
रेणु अब्बी रेणू ने कहा, तन तुम्हारा नश्वर आत्मा अनंत है, उस आत्मा के लिए शांति हम ढूंढते हैं।
मणि शर्मा “मनु”
दो चेहरे हैं, हर इंसा के
इक झूठा सा, इक सच्चा सा
इक हो जाता है, बूढ़ा तो
इक रहता हमेशा बच्चा सा।
शीनू वालिया ने
ग़मों को पल में खुशिओं में बदल दे दोस्ती वो है,
बिना बोले ही सब कुछ जो समझले दोस्ती वो है।
डॉ. प्रज्ञा शारदा-बड़ा लुभावना होता है मायके का मोह,
इक चुम्बक के समान,
जो खींचती है अपनी ओर…।
निशा वर्मा – ख्वाहिशों की कोई सीमा नही होती ,मृग मरीचिका-सा दिन-रात भागता है मानव सपनों को पूरा करने में…।
हेमा शर्मा ने इस अवसर पर गीत, याद मेरी उनको भी आती तो होगी, नींद उनकी आंखों की उड़ती तो होगी, सुनाया।
शीला गहलावत सीरत ने कहा,
पुस्तक के पन्नों में तुम भी,
खुद में सिमटे रहना तुम भी…।

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