कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,
कि- हम औरतों को भी
ये इज़ाज़त होती कि
घूम सकें टोली में,
पी सकें चाय कुल्हड़ में
किसी सड़क के किनारे
चाय की दुकान पर,
खड़े होकर बतियाएं, मजे उड़ाएं
उंगली में बीड़ी दबा
लंबे-लंबे कश लेकर
धुएं के छल्ले उड़ाएं
और लंबी सांस लेकर कहें
यार-आज आफिस की मीटिंग में
नए प्रोजेक्ट ने बहस पकड़ी थी,
काम बहुत था,
खड़े-खड़े टांगें अकड़ी थीं।
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,
कि-क्यों नहीं मार सकतीं
ज़ोर-ज़ोर से ठहाके
चाय की चुस्कियों संग औरतें
अपने घर की बालकनी तक में
खड़े होकर।
क्या घर के कामों के प्रोजेक्ट
लंबे नहीं होते?
या औरतों के खून में
थकने वाले कीड़े नहीं होते?
उनका भी मन करता है कि
सोफे पर बैठ,
सामने की टेबल पर,
पैर पसार
एक हाथ में चाय की प्याली
और दूसरे हाथ की उंगलियों में
सिगरेट दबाए,
लंबे-लंबे कश लेते हुए
किसी पर रौब जमाए,
सामने हो टीवी
राजनीति पर हो रही हो बहस
वो अपने तर्क सुना,
मन का सुकून पाए।
पर कहां ?
कहां है औरत के नसीब में!
औरत पर तो है
ज़िम्मेदारी घर की
उसकी इज्ज़त बनाने की
अपनी आवाज़ दबाने की
और बस घर ही को सजाने की।
उसे नहीं इजाज़त
किसी नुक्कड़ पर खड़े होने की
दोस्तों से हाथ मिला, मोटर बाइक भगा
सीटी बजाने की
डिनर के बाद टहलते हुए
देर रात को पान की दुकान पर जा
तम्बाकू का पान लगवाने की
टंगी सुलगती रस्सी से
बीड़ी सुलगाने की
और धुंआं छोड़ते हुए
सुकून भरी लंबी सांस लेने की,
बैंच पर वहीं बैठ दिनभर क्या किया
का हिसाब लगाने की
और देर रात घर आ
“नींद बहुत आ रही है
सुबह जल्दी उठा देना”
कहते हुए,
धम्म से बिस्तर पर गिर जाने की।
उसे नहीं है इज़ाज़त
घर के काम गिनाने की
सुबह देर तक बिस्तर में पड़े रहने की
“आज मेरी छुट्टी है” कहने की
नहीं है इज़ाज़त उसे ऊंचा बोल,
अपनी बात कहने और मनवाने की।
नहीं है इज़ाज़त उसे
“मैं ज़रा गांव हो आऊँ”
जैसा फैसला अचानक लेने की,
उनके लिए तो पहले से उसे
प्रोग्राम बनाने पड़ते हैं
बाई के पैसे सेट करने पड़ते हैं
कितने दिन मैनेज हो पाएगा
का हिसाब लगाना पड़ता है
वापस लौट आने का
दिन बताना पड़ता है
ना लौट पाए तो
घूरती नज़रों का
जवाब देना पड़ता है।
वो बेफिक्री से कहीं नहीं जा सकती
उसका सूटकेस कोई नहीं लगाता
ना ही लौटने पर
खाली कर सामान टिकाता
उसे तो करना है सब अपने आप
क्योंकि-वह तो है इस धरती पर
बस-एक औरत जात
बस-एक औरत जात।
- डॉ. प्रज्ञा शारदा, 401/43 ए चंडीगढ़। 9815001468