आज की कविताः मैं समझ नहीं पाई…
प्रसव पीड़ा को सहती हुईउसकी चीखपहुंच गई वहांजहां निवास करती हैसृष्टि।निढाल होपरास्त सा महसूसकरती हैजब पता चलता हैकिपैदा हुई है बेटी।क्योंकिबेटी के आने सेन होता है कोईखुशन मिलती है बधाईपड़ी रहती हैअकेलीछा जाता हैसन्नाटा चारों ओरहो जाते हैं सब खामोश।न कोई पूछता हैन बूझता हैन पास आता हैन हाल पूछता हैबस मिलती हैसबसे जुदाई।बेटा होतातो … Continue reading आज की कविताः मैं समझ नहीं पाई…
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