आज की कविताः बा

आज कस्तूरबा गांधी की जयंती है।

बा तुम थीं
बापू की छाया
देश व घर को
धुरी पे साधा
बापू के, बापू बनने की
ऐतिहासिक प्रक्रिया में साथ
ईंट बनी वो नींव की
सदा रही वो साथ।

चाहे नहीं था पढ़ना आया
पर बापू का साथ निभाया
सात वर्ष की उम्र में हो गई
बापू संग सगाई
तेरह वर्ष की उम्र में हो गई
पिता के घर से विदाई।

उन्नीस वर्ष की आयु में
पत्नी का पात्र निभाया
छोड़ के सारी इच्छाओं को
बनी बापू की छाया।

देश की आजादी की खातिर
अलग रही बापू से
बापू के सपनों के आगे
बा ने घुटने टेके।

जीवन रहा साधारण उनका
बनी स्वतंत्रता सेनानी
विमुख नहीं हुई कर्तव्यों से
समाज सेवा की ठानी।

  • डॉ. प्रज्ञा शारदा, 401/43 ए, चंडीगढ़। 9815001468
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