चंडीगढ़ में यह तेज-तर्रार IAS अफसर दो दशक बाद फिर चर्चा में, कई नेताओं की भी बढ़ी धड़कनें

जानिए, ऐसा क्या-क्या हुआ था अरुण कुमार के डीसी कार्यकाल में, तत्कालीन कांग्रेसी सत्ता से भी सीधे टकराने में नहीं हिचके

कौन से चर्चित फैसलों के लिए बाद में भी अरुण कुमार को किया जाता रहा याद

CHANDIGARH, 30 SEPTEMBER: करीब दो दशक पहले चंडीगढ़ में उपायुक्त (डीसी) रहते हुए जनहित के अपने फैसलों तथा ईमानदार कार्रवाइयों से खूब सुर्खियों में रहे तेज-तर्रार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अरुण कुमार आज एक बार फिर चंडीगढ़ में चर्चा का विषय बन गए। अरुण कुमार को सेवानिवृत्ति के बाद चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन का नया मुख्य आयुक्त (Chief Commissioner) नियुक्त किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अरुण कुमार की इस नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। नियुक्ति संबंधी आदेश जल्द जारी हो जाएगा लेकिन उससे पहले ही हरियाणा कैडर के 1989 बैच के रिटायर्ड वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अरुण कुमार के इस महत्वपूर्ण पद पर चंडीगढ़ लौटने को लेकर यहां के प्रशासनिक क्षेत्रों से राजनीतिक गलियारों तक सुबह से ही चर्चाएं हो रही हैं। पहले जानते हैं कि प्रशासनिक हलके में अरुण कुमार को लेकर चर्चाएं क्यों हैं।

दरअसल, चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन के मुख्य आयुक्त की दौड़ में 1985 बैच की रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी अनु जे सिंह का नाम चर्चा में था। पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने भी उनके नाम की संस्तुति केंद्र को कर दी थी लेकिन केंद्र सरकार ने इसे तवज्जो नहीं दी।

प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल के पास था एडिशनल चार्ज

चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन के मुख्य आयुक्त पद पर केके जिंदल का कार्यकाल पूरा होने के बाद चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन के मुख्य आयुक्त का एडिशनल चार्ज चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल को दिया गया था। इस बीच, धर्मपाल को यह अतिरिक्त प्रभार देने को लेकर विवाद भी उठा था कि बतौर सरकारी मुलाजिम रहते हुए उन्हें संवैधानिक पद का अतिरिक्त चार्ज कैसे दिया जा सकता है ?

स्थाई मुख्य आयुक्त बनना चाहते थे धर्मपाल

चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन का स्थाई मुख्य आयुक्त बनने के लिए एडवाइजर धर्मपाल को भी दावेदारी माना जा रहा था लेकिन उनकी दावेदारी उस समय खटाई में पड़ गई जब चंडीगढ़ प्रशासन ने इस पद के लिए दूसरी बार निकाले गए विज्ञापन में इस तरह की शर्तें दोड़ दीं, जिनमें सलाहकार धर्मपाल फिट नहीं बैठते थे। दरअसल, धर्मपाल के पास केंद्र सरकार के सेक्रेटरी के बराबर का दर्जा तो था लेकिन आवेदन के लिए रिटायरमेंट की जो शर्त रखी गई, उसने धर्मपाल को इस पद पर नियुक्ति की रेस से बाहर कर दिया, क्योंकि चंडीगढ़ के सेक्रेटरी पर्सनल की ओर से चीफ कमिश्नर पद के लिए जो आवेदन मांगा गया, उसके लिए 16 अगस्त 2023 शाम 5 बजे तक अंतिम तिथि थी। शर्तों के अनुसार केवल वही अफसर इस पद के लिए आवेदन कर सकते थे, जो इस तिथि से पहले रिटायर्ड हों। बाकायदा रिटायरमेंट का आर्डर भी आवेदन में संलग्न करने को कहा गया था। यहां सलाहकार धर्मपाल का पेंच फंस गया।

राजनीतिक गलियारों में इसलिए है चर्चा

अब बात करते हैं कि अरुण कुमार के चंडीगढ़ लौटने को लेकर यहां के राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं क्यों हो रही हैं। दरअसल, बेहद ईमानदार तथा तेज-तर्रार अफसरों में गिने जाने वाले अरुण कुमार जब दो दशक पहले चंडीगढ़ में डीसी थे तो उनकी ईमानदार कार्रवाइयों की जद में तब कई नेता भी आए थे। एक नेता तो जेल की भी हवा खा आए। खास बात यह है कि तत्कालीन डीसी अरुण कुमार की कार्रवाइयों की चपेट में सबसे ज्यादा कांग्रेस नेता आए। हालांकि तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और चंडीगढ़ से सांसद भी कांग्रेस का था लेकिन यह अरुण कुमार की ईमानदार छवि का ही परिचय रहा कि उन्होंने अपनी कार्रवाइयों में सत्ता की भी परवाह नहीं की। यही कारण है कि चंडीगढ़ में डीसी रहते अरुण कुमार व कांग्रेस नेताअों के बीच संबंध कभी सहज नहीं रहे। तब कांग्रेस नेताअों का गुस्सा इस कदर सिर चढ़कर बोलता था कि शहर में भरी जनसभाअों के बीच भी वे तत्कालीन डीसी अरुण कुमार पर आपत्तिजनक टिप्पणियां भी करने से नहीं चूकते थे। हालांकि इनमें से अब कुछ कांग्रेसी नेता भाजपाई हो गए हैं लेकिन उन्हें भी अब अरुण कुमार की कार्यशैली व सख्त मिजाजी फिर याद आ रही है, क्योंकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि पद कोई भी हो, अरुण कुमार की कार्यशैली एक ही रही है।

चंडीगढ़ के लिए अरुण कुमार के ये थे चर्चित बड़े फैसले

ईमानदार के साथ सख्त प्रशासनिक अधिकारी रहे अरुण कुमार की कार्यशैली में हमेशा जनहित प्राथमिकता में रहा। वैसे तो चंडीगढ़ में डीसी रहते उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले किए लेकिन चंडीगढ़ से जाने के बाद भी उन्हें कांग्रेसियों की टसल के अलावा जिन चर्चित फैसलों के लिए हमेशा याद किया जाता रहा, उनमें चंडीगढ़ के बाजार सप्ताह के सातों दिन खुलवाने व अतिक्रमण विरोधी कार्रवाइयां प्रमुख रूप से शामिल रहीं। शहर में अतिक्रमण के खिलाफ सबसे ज्यादा कार्रवाई अरुण कुमार के डीसी कार्यकाल में ही हुईं। सेक्टरों में कुकुरमुत्तों की तरह खुले गेस्ट हाउसों पर एक्शन लेने वाले अरुण कुमार इकलौते डीसी रहे। मुख्य रूप से कर्मचारियों के इस शहर में संडे को बाजारों की साप्ताहिक बंदी भी उन्हें जनता से जुड़ी बड़ी समस्या लगी तो कई दिनों की मशक्कत के बाद अंततः अरुण कुमार ने नया नोटिफिकेशन जारी करके चंडीगढ़ के बाजारों को सातों दिन खुलवा दिया, जो कि अभी तक जारी है। इससे पहले संडे को दुकानें खोलने पर लेबर डिपार्टमैंट संबंधित दुकानदार का चालान कर देता था। शहर के तमाम कर्मचारियों के अलावा व्यापारी भी इसके पक्ष में थे कि कम से कम रविवार की सार्वजनिक छुट्टी के दिन तो चंडीगढ़ के बाजार खुलने चाहिए लेकिन इसके अलावा किसी अन्य दिन साप्ताहिक बंदी के लिए चंडीगढ़ के तमाम बाजारों के व्यापारी एक राय नहीं हुए तो तत्कालीन डीसी अरुण कुमार ने बीच का रास्ता निकालते हुए सभी दुकानदारों को छूट जारी कर दी कि वे जब चाहें अपनी दुकान खोलें, जब चाहें बंद रखें। सातों दिन में किसी भी दिन दुकान खोलने पर उनका चालान नहीं होगा। इसके अलावा सेक्टर-26 स्थित मंडी के लिए भी अरुण कुमार ने डीसी रहते कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाईं लेकिन उनके तबादले के बाद उन योजनाअों पर किसी डीसी ने काम नहीं किया।

अरुण कुमार डीजीसीए प्रमुख भी रहे

अरुण कुमार नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के प्रमुख भी रह चुके हैं। यहां उन्हें 2021 में कार्यकाल विस्तार भी मिला था। अरुण कुमार को जुलाई 2019 में डीजीसीए प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने बीएस भुल्लर की सेवानिवृत्ति के साथ मई और जुलाई-2019 के बीच इस पद का अतिरिक्त प्रभार संभाला था। अरुण कुमार डीजीसीए में अतिरिक्त सचिव भी रह चुके हैं।

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