इन दिनों कोरोना महामारी को लेकर संपूर्ण विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। यदि हम ज्योतिष विज्ञान और ग्रहों के गणित को देखें तो राहू, केतू और शनि तीनों ही क्रूर ग्रह माने गए हैं। इन तीनों का संबंध रहस्यमय और विषाणु जनित रोगों से है लेकिन ऐसे कठिन समय में वैदिक ज्ञान और वेद शास्त्रों ने हमारा मार्गदर्शन किया है। ऋग्वेद के अनुसार भगवान शंकर महामृत्युंजय हैं और इस कारण महामृत्युंजय बीज मंत्र का नियमित प्रयोग ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम कर गंभीर से गंभीर रोगों पर नियंत्रण व लम्बी आयु प्रदान करता है। इस महामंत्र की ऊर्जा आपको स्वस्थ रहने में भी मदद करती है और इस मंत्र का दैनिक जीवन व दिनचर्या में अधिक से अधिक प्रयोग किसी भी प्रकार के रोगों से दूर करने में लाभदायक है। आइये, इस मंत्र के अधिक से अधिक उपयोग पर हम चर्चा करते हैं।
- सुबह उठते ही जमीन पर पैर रखने से पूर्व अपने मस्तक पर हाथ रखकर एक बार बीज मंत्र का उच्चारण कर स्वयं के लिए शिव से पूरे दिन के लिए सफल, शांत और सकारात्मक रहने का आशीर्वाद मांगते हुए अपना दिन आरंभ करें।
- नहाते समय पानी की बाल्टी पर ऊं लिखें और भगवान शिव को प्रणाम कर बीज मंत्र को 1 बार बोलकर मन में सोचें कि मेरे भीतर जो भी नकारात्मक ऊर्जा, जो कि किसी चिंता और रोग के रूप में है, इस शिव मंत्रित अमृत जल से स्नान करने से समाप्त हो गई है और अब मैं हर प्रकार के नकारात्मक प्रभाव से पूर्ण रूप से सुरक्षित तथा स्वस्थ हूं।
- भोजन ग्रहण करने से पहले एक बार बीज मंत्र का उपयोग कर मन में कहें कि यह भोजन शिव के आशीर्वाद से अब अमृत बन गया है और मुझे आंतरिक तथा बाह्य रूप से अमृत समान प्रभाव और लाभ दे रहा है।
- अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण, प्रात:काल एक गिलास पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाकर 27 बार बीज मंत्र का पाठ करें और इस पानी को बाकी पानी के साथ मिलाकर सारा दिन इसका सेवन करें। इससे आपकी आंतरिक और बाहरी ऊर्जा संतुलित तथा वैदिक रूप से संचालित रहेगी और हमेशा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होगा। निरंतर 27 दिन तक यह प्रक्रिया करने से बड़ी से बड़ी बीमारी में भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
- वेद के अनुसार इस बीज मंत्र के साथ अधिक से अधिक हवन करने से किसी भी महामारी पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
महामृत्युंजय बीज मंत्र
ॐ जूं स: माम् पालय पालय स: जूं ॐ
- प्रतिभा ए शर्मा, आध्यात्मिक काउंसलर, फोन: 8433989666/9819026552