JAMMU & KASHMIR: बीते वर्षों में जम्मू-कश्मीर और इसके आसपास के इलाकों में जितने भी आतंकियों का सफाया भारतीय सेना द्वारा किया गया है, उनमें से ज्यादातर के पास से एम-4 कार्बाइन नामक खतरनाक हथियार मुख्य रूप से बरामद हुआ है। इस राइफल को दुनिया की सबसे बेहतर राइफल में गिना जाता है। कश्मीर के आईजी विजय कुमार के अनुसार,” साल 2021 में आतंकियों के पास से अब तक 2 एम-4 कार्बाइन रायफल बरामद की गई हैं।” इसके अलावा बीते दिनों हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के मारे गए आतंकियों के पास से एक AK-47, और एक M-4 रायफल बरामद की गई थी।
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह के अनुसार, आतंकियों को इस अमेरिकी हथियार को चलाने की अच्छी ट्रेनिंग हासिल है, जिस कारण यह उनका पसंदीदा हथियार है। बीते दिनों शोपियां एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के पास भी यही हथियार बरामद हुआ था।
गैरकानूनी तरीके से हो रहा एम-4 कार्बाइन का निर्माण: दिलबाग सिंह(डीजीपी, जम्मू-कश्मीर)
बीते शनिवार को जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने दावा किया कि अमेरिकी असॉल्ट राइफल एम-4 का विदेशों में गैर कानूनी तरीके से निर्माण हो रहा है। पुलिस महानिदेशक सिंह ने बताया कि पिछले साल भारतीय सेना द्वारा बड़े पैमाने पर हथियार जब्त किए गए हैं, जो उससे पहले साल के मुकाबले से कहीं अधिक हैं। वर्ष 2020 में कुल 475 हथियार जब्त किए गए, जबकि वर्ष 2019 में जब्त हथियारों की संख्या इसकी आधी भी नहीं थी। उन्होंने बताया कि जब्त सामानों में पिस्तौल, एके असॉल्ट राइफल, एम-4 राइफल, मादक पदार्थ और नकदी शामिल है।
क्या है एम-4 की खासियत?
1)एम-4 का वजन 2.9 किलोग्राम के आसपास होता है, जिसके चलते अन्य हथियारों के मुकाबले इसे उठाना थोड़ा आसान है।
2)इसकी लंबाई 33 इंच है, जबकि इसके बैरल की लंबाई साढ़े चौदह इंच के आसपास होती है।
3)इसकी बड़ी खासियत है कस्टमाइज़ेशन, जिसका मतलब है कि इसमें कई सारी चीजें जोड़ी और घटाई जा सकती हैं।
4)इस रायफल में दूर तक देखने के लिए स्कोप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे ज्यादा दूरी से वार कर सकते हैं, क्योंकि इसके ऊपर साइट लगी रहती है।
5)एम-4 की मारक क्षमता करीब 600 मीटर होती है और यह एक बार में 950 गोलियां लगातार दाग सकती है।
6)एम-4 का इस्तेमाल अमेरिकी सेना की अधिकांश इकाइयों में किया जाता है।
बन्दूक एक-काम अनेक
एम-4 कार्बाइन सिर्फ एक बंदूक नहीं है, बल्कि एक खतरनाक हथियार भी है। इसमें थोड़े से बदलाव करके इसे ग्रेनेड लॉन्चर भी बनाया जा सकता है। द्वितीयक हथियार के तौर पर इसे शॉटगन भी बनाया जा सकता है। इस राइफल में कारतूस 5.56 X 45 एमएम के कारतूस का इस्तेमाल होता है और ये एक बैरल वाला रायफल है।
M-16 का अपग्रेडेड वर्जन है M-4 कार्बाइन
अमेरिकी सेना में बहुत लंबे समय तक एम-16 राइफल का इस्तेमाल हुआ। लेकिन, 1990 के करीब अमेरिकी सेना में एम-4 का इस्तेमाल किया जाने लगा। वैसे तो एम-16 और एम-4 में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। इन दोनों के 80% हिस्से एक जैसे ही हैं। लेकिन, एम-4 कार्बाइन आकर में छोटी होने के चलते युद्ध में खासा लोकप्रिय हुई, जिसके बाद अमेरिका के ज्यादातर फोर्स में इसी का इस्तेमाल किया जाने लगा। एम-4 का ज्यादातर इस्तेमाल अमेरिका की सैन्य/मरीन्स टुकड़ियों के द्वारा किया जाता है। ~(PBNS)