ANews Office: हिंदू कैलेंडर व पंचांग के मुताबिक इस बार एक ऐसा संयोग बन रहा है, जिसे दुनिया में मौजूद हर शख्स पहली बार देखेगा। क्योंकि ऐसा 160 वर्ष अर्थात 2 सितम्बर 1860 के बाद हो रहा है। खास बात यह भी है कि ऐसा ही संयोग 19 साल बाद भी आएगा। यानी इस संयोग की पुनरावृत्ति भी इतनी जल्दी पहली बार होगी। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला…
संयोग का असर
दरअसल, ठीक 160 साल यानी 2 सितम्बर-1860 के बाद अब 18 सितम्बर-2020 को लीपवर्ष में अधिक मास पड़ रहा है। यही संयोग वर्ष 2039 में फिर बनेगा। इस संयोग का असर यह है कि पितृपक्ष समाप्ति के अगले दिन से ही मलमास शुरू हो रहा है। इस बार दो आश्विन मास पड़ेंगे। इस समय चातुर्मास चल रहा है। चातुर्मास चार महीने का होता है लेकिन इस बार मलमास के कारण ये पांच महीने का होगा। मलमास के कारण ही पितृपक्ष के ठीक बाद नवरात्र शुरू नहीं होंगे। मलमास खत्म होने के बाद ही नवरात्र शुरू होंगे। 19 साल बाद दो आश्विन माह इस बार पड़ रहे हैं। अधिक मास के कारण ही आश्विन मास दो बार होगा। लगभग हर 19 साल के अंतराल पर मध्यमान अधिकमास आता है। आश्विन महीने में अधिक मास 18 सितम्बर से शुरू होकर 16 अक्तूबर तक चलेगा। लिहाजा, नवरात्र 17 अक्तूबर से शुरू होंगे, 26 अक्तूबर को दशहरा और 14 नवम्बर को दीपावली मनाई जाएगी। इसके बाद 25 नवम्बर को देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास समाप्त हो जाएगा।
मलमास में क्या कर सकते हैं, क्या नहीं?
विवाह की बातचीत, विवाह की मौखिक सहमति, पहले से आरंभ किए गए कार्यों का समापन, प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री, वाहन की बुकिंग, बयाना, सरकारी कार्य, पढ़ाई, शिक्षा के लिए एडमिशन, नार्मल रुटीन, दैनिक व्यवस्था के कार्य आदि। इसके अलावा कोई भी नई वस्तुएं जैसे घर, कार, इत्यादि न खरीदें। घर के निर्माण का कार्य शुरू न करें और न ही उससे संबंधित कोई भी सामान खरीदें। कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, सगाई, मुंडन व नए कार्य प्रारंभ नहीं करने चाहिए।
पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं इसे
धर्मग्रंथों के अनुसार खर (मल) मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम दिया है। इसलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। खरमास, यानि खराब महीना। वो महीना जब हर प्रकार के शुभ काम बंद हो जाते हैं। कोई नया काम शुरू नहीं किया जाता।
मलमास का पंचांग
मलमास का संबंध ग्रहों की चाल से है। पंचांग के अनुसार मलमास या अधिक मास का आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है। यही अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है। बढऩे वाले इस महीने को ही अधिक मास या मलमास कहा जाता है।
मलिन मास
मलमास को मलिन मास भी कहा जाता है। मलमास में कोई शुभ कार्य तो नहीं किए जा सकते, लेकिन धार्मिक और दान-पुण्य के काम जरूर करने चाहिए। मलमास में पीले फल, मिठाई, अनाज व वस्त्रों का दान करना शुभ माना गया है, क्योंकि भगवान विष्णु का प्रिय रंग पीला है और मलमास को भगवान पुरुषोत्तम का मास माना जाता है। इसलिए पीली चीजों के दान का विशेष महत्व होता है।
तुलसी पूजन जरूर करें
इस दौरान तुलसी पूजन जरूर करें और रोज संध्या के समय तुलसी के सामने दीप दान कर “ॐ वासुदेवाय नम:” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र जाप के साथ तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। इससे आपके घर में सौभाग्य का वास होगा। ऐसा करने से घर के सारे संकट और दुख ख़त्म हो जाते हैं। इसके अलावा मलमास में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इससे मनुष्य के विचार और कर्म शुद्ध होते हैं तथा घर मे सुख-शांति का वास होता है।
इस मास में धर्म-कर्म खूब करना चाहिए
मलमास भगवान पुरुषोत्तम का महीना होता है, इसलिए इस मास में धर्म-कर्म खूब करना चाहिए। मलमास में सूर्योदय के पहले उठकर स्नान-ध्यान करने का विधान है। साथ ही श्री मद्भागवत का पाठ करने से अमोघ पुण्यलाभ मिलता है।मलमास में उन लोगों को जरूर दान-पुण्य करना चाहिए, जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ फल नहीं दे रहा हो। मलमास में जितना हो सके, धर्म से जुड़े कार्य करें और गरीबों की मदद करें। ऐसा करने वाले को भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलता है। मलमास में पूजा-पाठ, व्रत, उपासना, दान और साधना को सर्वोत्तम माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मलमास में भगवान का स्मरण करना चाहिए। अधिक मास में किए गए दान आदि का कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। इस मास को आत्म की शुद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है। अधिक मास में व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए भी प्रयास करने चाहिए। आत्म चिंतन करते हुए मानव कल्याण की दिशा में विचार करने चाहिए। सृष्टि का आभार व्यक्त करते हुए अपने पूर्वजों का भी धन्यवाद करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है।
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान विष्णु का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें और तुलसी की माला से 11 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जप करें।
- पीपल के पेड़ में जल को अर्पण करके गाय के घी का दीपक जलाते हैं तो आपके ऊपर भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।
- प्रत्येक दिन श्री हरि का ध्यान करें और पीले पुष्प अर्पित करें। इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
- दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करनी चाहिए। इस मास में कहा जाता है कि दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से श्री हरि विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
- सुबह उठकर भागवत कथा पढ़ें। अगर आपको अपना प्रमोशन या पदोन्नति चाहिए तो खर मास की नवमी तिथि को कन्याओं को अपने घर बुलाकर भोजन कराएं।
– मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़। फोनः 9815619620