CHANDIGARH: हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एसके मित्तल ने कहा कि मौलिक अधिकारों का जहां-जहां हनन होता है, वहीं मानवाधिकारों का उल्लघंन है। ऐसे मामलों में आयोग शिकायत मिलने पर या स्वत: संज्ञान लेता है। पिछले एक वर्ष के दौरान आयोग द्वारा 3218 मामलों का निपटारा किया गया। जिनमें 38 मामले स्वत: संज्ञान के थे तथा पीडि़तों को 56.94 लाख रुपये का मुआवजा दिलवाया गया।
यह जानकारी न्यायमूर्ति एसके मित्तल ने आज यहां चण्डीगढ़ स्थित आयोग के कार्यालय में एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए दी। उनके साथ आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति के.सी. पुरी व दीप भाटिया तथा आयोग के सचिव वजीर सिंह गोयत भी उपस्थित थे।
मित्तल ने इस बात की जानकारी दी कि मानवाधिकार आयोग के बारे आमजन तक जानकारी देने के लिए शीघ्र ही सार्वजनिक कार्यालयों पर सूचना पट्टï प्रदर्शित किए जाएंगे, जिन पर मानवाधिकार के बारे जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा की गई सिफारिशों को राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित किया जाता है और 95 प्रतिशत से अधिक शिकायतों पर सरकार द्वारा संज्ञान लेकर विभागीय स्तर पर कार्रवाई की गई है, जिससे आयोग संतुष्टि है। उन्होंने कहा कि देश को आजाद हुए 70 वर्ष से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग का मुख्य उद्देश्य आम लोगों तक पहुंच बनाकर उनकी सहायता करना है।
उन्होंने जानकारी दी कि हरियाणा मानवाधिकारी आयोग द्वारा अपने चण्डीगढ़ स्थित कार्यालय के अलावा गुरुग्राम में भी एक महीने में दो दिन अर्थात पहले सोमवार व दूसरे सप्ताह के शुक्रवार को दक्षिण हरियाणा के छ: जिलों नामत: गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी तथा नूह जिलों से संबंधित शिकायतों की सुनवाई की जाती है।
उन्होंने बताया कि आयोग नियमित रूप से जेलों का निरीक्षण भी करता है और केदियों को जेल के अंदर पानी, बिजली, भोजन व चिकित्सा जैसी मिल रही मुलभूत सुविधाओं का निरीक्षण किया जाता है। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा गुरुग्राम, अम्बाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, रेवाड़ी तथा फरीदाबाद जेलों का निरीक्षण किया गया।
उन्होंने बताया कि आयोग की जांच प्रकोष्ठी (इन्वेस्टिगेटिंग विंग) द्वारा 2828 न्यायायिक मामलों का निपटारा किया गया तथा एक महीने में सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त 132 आवेदनों में से 131 पर निर्णय दिया गया।