CHANDIGARH, 13 JULY: सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है इसलिए इस महीने भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने से भक्तजन मनवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। भगवान शिव के लिए सावन का महीना अति प्रिय होने के बारे में व्याख्या करते हुए चण्डीगढ़ जाने-माने ज्योतिषाचार्य पंडित सुंदर लाल भार्गव, जो श्री शक्ति पीठ संस्थान, हरिद्वार के संस्थापक-संचालक भी हैं, ने बताया कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है। इस बार सावन माह या श्रावण मास 14 जुलाई से 10 अगस्त तक है।
पं. सुंदर लाल भार्गव ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए श्रावण मास में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।पं. सुंदर लाल भार्गव ने कहा उपयोगी जानकारी देते हुए कहा कि इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम ‘नीलकंठ महादेव’ पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पं. सुंदर लाल भार्गव के मुताबिक इस सावन मास में आप अपने प्रारब्ध कर्मों को ख़त्म कर के अपने भाग्य को कई गुणा बढ़ा सकते हैं व यह अपनी मनोकामना पूरी करने का सुनहरी अवसर है।