हद है: चंडीगढ़ के 35 पार्षदों में सिर्फ एक को अपने किरदार की चिंता !

पिछले माह नगर निगम की मीटिंग ही नहीं हुई, इसको लेकर आवाज उठी भी तो केवल विपक्ष से

कैंथ ने प्रशासक को पत्र लिखा, इस उम्मीद से कि कम से कम वही नगर निगम और सत्ता पक्ष को अपना दायित्व निभाने का निर्देश दें

CHANDIGARH: शहर के विकास के लिए गठित किए गए नगर निगम में वैसे तो चंडीगढ़ की जनता ने 26 पार्षद चुनकर भेजे हैं, ताकि फैसलों में पब्लिक की भी नुमाइंदगी हो। विभिन्न वर्गों से शहर के 9 मौअज्जिज लोगों को भी निगम में पार्षद मनोनीत किया गया है, ताकि विकास के निर्णयों में उनकी सलाह भी शामिल हो लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि इन 35 जनप्रतिनिधियों में से सिर्फ एक ने परवाह की है इस बात की कि आखिर हम हैं किसलिए ?
वे कहते हैं कि शहर में विकास ठप्प पड़ा है। नगर निगम के पास फंड नहीं है। निगम में सैलरी का संकट है। लोग पानी के बढ़े हुए बिलों को लेकर परेशान हैं। कौन सुध लेगा इनकी ? मेयर को कोरोना हो गया तो पिछले महीने निगम की मीटिंग ही नहीं हुई। जनप्रतिनिधियों की पूरी फौज बेपरवाह बैठी है। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव किसलिए किया जाता है ? आश्चर्य तो आप शायद ये जानकर भी करेंगे कि 35 पार्षदों में ये बोलने का साहस भी दिखा है तो केवल विपक्ष की तरफ से। उसमें भी सिर्फ एक पार्षद ने चिंता की है कि निगम की मीटिंग बुलाई क्यों नहीं जा रही है ? और ये पार्षद हैं कांग्रेस के सतीश कुमार कैंथ, जो कि डिप्टी मेयर भी रह चुके हैं।

कांग्रेस पार्षद सतीश कुमार कैंथ।

दुकान की तरह चलाया जा रहा नगर निगम को
कैंथ ने बड़े अफसोस के साथ चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को पत्र लिखा है। इस उम्मीद से कि कम से कम वही नगर निगम और सत्ता पक्ष को अपना दायित्व निभाने के लिए निर्देश दें। कैंथ ने पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि शहर के लोग नगर निगम अधिकारियों और भाजपा शासित नगर निगम की कार्यप्रणाली के चलते कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। नगर निगम को एक दुकान की तरह चलाया जा रहा है। कैंथ ने कहा कि मेयर राजबाला मलिक को कोरोना हो जाने के कारण सितम्बर महीने में नगर निगम की बैठक ही नहीं बुलाई गई, जबकि नगर निगम एक्ट के मुताबिक मेयर की अनुपस्थिति में सीनियर डिप्टी मेयर निगम की मासिक और इमरजैंसी मीटिंग बुला सकता है।

अफसर बने डिक्टेटर
सतीश कैंथ ने यह भी कहा है कि नगर निगम अधिकारी चुने हुए जनप्रतिनिधियों को लगातार नजरंदाज कर रहे हैं, उनकी उपेक्षा कर कर रहे हैं। अफसर डिक्टेटर की तरह व्यवहार कर रहे हैं। कैंथ का कहना है कि इस समय कई अहम मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर नगर निगम की मीटिंग में विचार-विमर्श करके उनको लेकर प्रस्ताव पारित किए जाने की जरूरत है।

इन मुद्दों पर तत्काल विचार-विमर्श की जरूरत जताई है कैंथ ने

  • विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए फंड उपलब्ध नहीं है।
  • शहर में कोविड सैस लागू किए जाने का स्टेटस।
  • वाटर टैरिफ पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लोगों में निगम और वाटर सप्लाई कमेटी के विरोधाभासी बयानों से कन्फ्यूजन है।
  • कोविड-19 को लेकर खर्च की स्थिति।
  • खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की तरफ से राशन वितरण में धांधली।
  • स्वच्छता रैंकिंग, सैग्रीगेशन, डोर टू डोर गारबेज कलैक्शन को लेकर एमओएच डिपार्टमैंट द्वारा गुमराह किया जाना।
  • नगर निगम के अधीन गांवों में गारबेज कलैक्शन चार्जेज।
  • गांवों के विकास के लिए फंड नहीं।
  • गारबेज प्रॉसैसिंग प्लांट को टेकओवर करना।
  • कांट्रैक्ट व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सैलरी का मसला।
  • सेक्टर-23 के बूथों के किराए में भारी बढ़ोतरी।
  • स्ट्रीट वैंडरों के लाइसैंस की फीस का मसला।

अपील: इमरजैंसी मीटिंग बुलाने का निर्देश दें प्रशासक
प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को लिखे पत्र में पार्षद सतीश कुमार कैंथ ने कहा है कि यह सभी मुद्दे सीधे आम जनता से जुड़े हुए हैं लेकिन नगर निगम अधिकारियों और भाजपा को इसकी कोई चिंता ही नहीं है। कैंथ ने प्रशासक से अपील की है कि वह चंडीगढ़ और यहां के आम लोगों के हित में नगर निगम प्रशासन तथा मेयर को तुरंत निगम की इमरजैंसी मीटिंग बुलाने का निर्देश जारी करें।

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