सरकार कृषि को लाभ केंद्रित बनाने और फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है- गजेंद्र सिंह शेखावत

CHANDIGARH: भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सीआईआई इंडिया इंटरनेशनल फूड एंड एग्री वीक 2020 के तहत आज ‘वाटर: रोल ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर स्मार्ट फार्मिंग’ पर एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया।सम्मेलन का उद्देश्य प्रौद्योगिकियों, प्रक्रिया और डेटा एनालिटिक्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि स्थिरता के महत्व को समझना है ताकि समग्र, एकीकृत और सूचित निर्णय लिया जा सके ।

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल सुरक्षा भागीदारी जल प्रबंधन द्वारा प्राप्त की जा सकती है।उन्होंने कहा कि डिमांड साइड मैनेजमेंट पर तेजी से काम करना जरूरी है।स्मार्ट खेती और सिंचाई में तकनीक के इस्तेमाल से कृषि में उत्पादकता में सुधार होना चाहिए।ड्रिप इरिगेशन से देश में 50 फीसदी पानी की बचत होगी। शेखावत ने कहा कि हरियाणा फसल विविधिकरण का अच्छा उदाहरण है और यह एक बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक जरूरतों के लिए खाद्य उत्पादन की दिशा में काम करना चाहिए और किसानों को कृषि से बूथ आय तक उनकी उपज के लिए अच्छे दाम हासिल करने में मदद करनी चाहिए ।

भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव – कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण डॉ अलका भार्गव ने इस बात पर जोर दिया कि हमें पानी की गूढ़ फसलों के लिए सूक्ष्म सिंचाई के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।पानी, भोजन और ऊर्जा के बीच गठजोड़ धीरे-धीरे महत्वपूर्ण होता जा रहा है।डॉ भार्गव ने कहा कि हमें इंटरक्रॉपिंग और इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम पर ध्यान देना चाहिए।

श्री रंगनाथ एन कृष्णा, सम्मेलन के अध्यक्ष और ग्रुंडफोस पंप्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जल राजदूत ने कहा कि अगर हम कृषि में इस्तेमाल होने वाले पानी का कम से 10 प्रतिशत बचाते हैं तो भारत की जल संकट खत्म हो जाएगी ।प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन की आवश्यकता है, जिसके लिए प्रौद्योगिकी की गुणवत्ता और सामर्थ्य, बेहतर शासन, सतत विकास के लिए सक्षम नीतियों पर विचार किए जाने की आवश्यकता है ।

सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के अध्यक्ष और त्रिवेणी टर्बाइन लिमिटेड के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक निखिल साहनी ने कहा कि ड्रिप सिंचाई जैसी प्रौद्योगिकी कृषि क्षेत्र में पानी के उपयोग को कम करने में प्रमुख भूमिका निभा सकती है ।पानी के इस्तेमाल के तरीके में फेरबदल, समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन की जरूरत है । साहनी ने कहा कि किसानों को इस अर्थ में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि उन्हें जल अधिकार दिए जाने चाहिए जो व्यापार योग्य होने चाहिए।

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