और ज्यादा रोचक हुआ चंडीगढ़ के मेयर का चुनाव: कांग्रेस हुई चुनाव से अलग, अब सबसे अहम हुआ अकाली दल का 1 वोट

अपने पार्षदों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए AAP ले गई दिल्ली तो कांग्रेस ने अपने पार्षदों को भेजा जयपुर

CHANDIGARH: चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव (Chandigarh Municipal Corporation Election) के बाद हर रोज बदल रहे सियासी हालात में अब मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव बेहद रोचक होता जा रहा है। कांग्रेस ने जहां आज मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव में भाग न लेने का ऐलान कर दिया है, वहीं पार्षदों की खरीद-फरोख्त की कोशिशों के आरोपों के बीच खबर है कि आम आदमी पार्टी अपने पार्षदों को दिल्ली ले गई है तो कांग्रेस ने अपने पार्षदों को जयपुर भेज दिया है, ताकि उन्हें तोड़फोड़ से बचाया जा सके। यह पार्षद अब मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव के दिन ही चंडीगढ़ पहुंचेंगे।

याद दिला दें कि चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव (Chandigarh Municipal Corporation Election) में आम आदमी पार्टी 14, भाजपा 12 व कांग्रेस 8 सीटें जीती है। 1 सीट पर शिरोमणि अकाली दल की जीत हुई। निगम सदन सांसद भी पदेन सदस्य होने के कारण उनका भी वोट होता है। लिहाजा, सांसद भाजपा का होने के कारण भाजपा के वोटों की संख्या निगम सदन में 13 हो गई थी। कल कांग्रेस पार्षद हरप्रीत कौर बबला कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं। ऐसे में अब निगम सदन में भाजपा के वोटों की संख्या भी 14 यानी आम आदमी पार्टी के वोटों के बराबर हो गई है, जबकि कांग्रेस के वोट अब महज 7 रह गए हैं।

आज चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला ने घोषणा कर दी है कि मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव में कांग्रेस भाग नहीं लेगी। समझा जाता है कि कांग्रेस ने यह निर्णय अपने पार्षदों की तोड़फोड़ की संभावना के चलते लिया है। बबला के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव के समय कांग्रेस में वोट क्रॉस की आशंका भी जताई जा रही थी। ऐसे में अपने वोट क्रॉस होने से बचाने के लिए कांग्रेस के पास मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव से वॉकआउट करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। ऐसे में अब मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी व भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला होने के आसार बन गए हैं। चूंकि निगम सदन में इन दोनों पार्टियों के वोट अब 14-14 हो गए हैं तो सबसे ज्यादा अहमियत शिरोमणि अकाली दल के 1 वोट की बढ़ गई है। पिछले चुनाव तक भाजपा से अकाली दल का गठबंधन था लेकिन इस बार टूट चुका है। ऐसे में अकाली दल किसका समर्थन करेगा, यह देखना भी दिलचस्प हो गया है। हालांकि अकाली पार्षद हरदीप सिंह ने अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। यदि अकाली दल भी मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव में भाग नहीं लेता है तो आम आदमी पार्टी व भाजपा के वोट बराबर होने की स्थिति में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर पद पर जीत-हार का फैसला ड्रॉ यानी पर्ची के जरिए होगा।

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