CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज राज्य द्वारा केंद्रीय खेती कानूनों के घातक प्रभाव को बेअसर करने के लिए संशोधन बिल पास करने के बाद इनफोर्समेंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) और इनकम टैक्स विभाग की तरफ से उनके सहित पारिवारिक सदस्यों को जारी किये गए अलग-अलग नोटिसों के समय पर सवाल उठाए हैं।
जंतर-मंतर पर अपने धरने के बाद पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पुत्र रणइन्दर को ई.डी. के नोटिस के अलावा उनको (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) और उनकी पत्नी परनीत कौर को आयकर विभाग से नोटिस प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने खुलासा किया कि यहाँ तक कि उनकी दो पोतियाँ, जिनमें से एक लॉ की छात्रा है और दूसरी अपनी सगाई की तैयारी कर रही है, के साथ-साथ बाली उम्र के पोते को भी नहीं बक्शा और इनको भी नोटिस प्राप्त हुए हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि मुझे नहीं पता कि इन पर क्या कहना है सिवाए इसके कि इन नोटिसों का समय संदिग्ध है क्योंकि उनकी सरकार की तरफ से विधानसभा में खेती संशोधन बिल पास करवाने के किए गए प्रयासों के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने यह नोटिस जारी किये हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों के खि़लाफ़ ‘शहरी नक्सलवादी’ के लगाए गए दोषों को ख़ारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने उनकी सरकार पर किसानों को प्रदर्शन के लिए उकसाने के दोष भी रद्द किये हैं। उन्होंने किसान प्रदर्शनों को केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की प्रतिक्रिया बताते हुए कहा कि केंद्र ने किसानों की रोज़ी-रोटी पर लात मारी है।
उन्होंने कहा कि ये समस्याएं केंद्र सरकार ने खड़ी की हैं जबकि पंजाब सिफऱ् शान्ति चाहता है जिससे हमारी किसानी और औद्योगसमेत समूचे पंजाबी और प्रफुल्लित हों। किसानों को आज़ाद करने के लिए केंद्रीय खेती कानून लाने बारे भाजपा के दावे का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में आज़ादी के उलट किसानों को कार्पोरेटों के चंगुल में फसाया जा रहा है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सिफऱ् पंजाब के किसानों के साथ ही नहीं बल्कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों के किसानों के साथ भी घोर अन्याय है।
आम आदमी पार्टी के धरने में शामिल न होने बारे पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने इसके दोगलेपन पर सवाल उठाते हुए पूछा कि इस पार्टी के विधायक प्रस्ताव की कॉपी और संशोधन बिल राज्यपाल को सौंपने के लिए उनके साथ क्यों गए थे जिनके हक में उन्होंने विधानसभा में वोट डाला था।