CHANDIGARH: आकाश में कल रात बहुत ही मनोरम, रोमांचक तथा खगोलीय व ज्योतिषीय दृष्टि से मनोहारी दृश्य था। विश्व के अरबों लोगों ने इसके दीदार किए। चांद का रंग चमकीला था और यह धरती के बहुत समीप था। इसका 100 प्रतिशत भाग प्रकाशमान था। इसे वैज्ञानिकों ने ’फुल स्नो मून’ कहा है।
चांद तो रोज ही निकलता है। कभी दूज का चांद,चौदहवीं का चांद तो कभी पूनम का चांद और कभी करवा चौथ का चांद। चांद पर कितने ही गाने और शायरी सदियों से चली आ रही है। एक रात में दो दो चांद खिले…….लेकिन चांद आसमां में एक से ज्यादा नहीं खिल सकते।
हां! खगोलविद् चांद के अलग अलग अलग नाम जरुर रख देते हैं। किसी को सुपर मून , किसी को ब्लू मून,ब्लड मून, यहां तक कि हारवेस्ट मून भी कहते हैं। हर महीने पूर्णिमा पर एक नया नाम रख देते हैं। जैसे वर्म मून, पिंक मून,फलावर मून, बक मून, आदि। परंतु हमारे यहां चंद्र के पर्यायवाची शब्द तो हो सकते हैं , चांद को चांद ही कहा जाता है।ज्योतिषीय आकलन और ज्योतिष तो टिका ही चंद्रमा पर और चंद्र राशियों पर। चंद्र कुंडली जीवन के परिवर्तन दर्शाती है। इसे मन का कारक ग्रह कहा गया है। यह बर्फीला चंद्र ,माघ पूर्णिमा के दिन , सिंह राशि,मघा नक्षत्र, कालसर्प योग तथा श्री गुरु रविदास जयंती पर दृश्यमान है।अक्सर देखा गया हेै कि जब भी फुल मून, सुपर मून दिखाई देता हेै, गुरुत्वाकर्षण के कारण बड़े तूफान, सुनामी, मौसम में गड़बड़ी या भूकंप जरुर आते हैं। चांद के दीदार के बाद दुनिया के किसी कोने से ऐसी खबरें भी सुनाई दे सकती हैं कि कहीं तूफान आ गया, रेगिस्तान में बर्फ पड़ गई, धरती खिसक गई, भूस्ख्लन हो गया, सर्दी में लावा फूट गया, या मौसम अजीब तरीके से खराब हो गया जैसा पहले कभी नहीं हुआ था ।
सिंह और मकर राशि वाले लोगों में यह स्नो मून ,सृजनात्मक एवं भावात्मक उर्जा संचालित करेगा।चूंकि यह ग्रह मन का कारक है तो बहुत से लोगों का मन विचलित करेगा। कुछ नेता लोग गलत निर्णय ले सकते हैं। शनि भी इस समय मकर राशि में है और कालसर्प योग बना हुआ है। अंतराष्ट्र्ीय स्तर पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं।रुस- यूक्रेन मसलायुक्रेन में सब अच्छा नहीं चल रहा। छात्रों को पलायन करना पड़ रहा है। जिनकी कुंडली में चंद्र कमजोर या नीच राशि का है, उन्हेें विपरीत स्थितियों में समुद्र पार की यात्रा करनी पड़ सकती है या मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ेगा।
हमारा ज्योतिषीय आकलन है कि बातचीत से रुस- यूक्रेन मसला संभल जाएगा। विश्व युद्ध जैसा कुछ नहीं होगा।अब ज्योतिष के कड़े आलेाचक भी कहां पीछे रहेंगे?
उनके अनुसार एस्ट्रोलॉजी ढकोसला है। नील आर्मस्ट्रांग, 21 जुलाई ,1969 को चांद पर झंडा गाड़ आए और अभी भारत में चांद की पूजा की जाती है, व्रत रखे जाते हैं, चंद्र ग्रहण पर मंदिर बंद कर देते हैं, उसे देखते तक नहीं, कुछ खाते पीते तक नहीं,सोचते हैं कलंक चतुर्थी पर चांद देखने से कलंक लग जाता है। जबकि वैदिक एस्ट्र्ोलॉजी में सभी ग्रहों का वर्णन, उनकी ग्रह चाल, राशियां,नक्षत्र आदि का उल्लेख सदियों से किया जा रहा है और पश्चिमी देश तय नहीं कर पा रहे थे कि धरती गोल है या चपटी या सूर्य घूमता है या धरती?चांद के बारे कुछ रोचक जानकारियां हम तो एक चांद की बात करते हैं, सौर मंडल में बहुत हैं, जो हमंे दिखता है, वह 5वां और सबसे बड़ा है। चांद धरती से 3,84,000 किलोमीटर दूर है। चंदमा ही पृथ्वी के सबसे निकट है। चांद का केवल 59 प्रतिशत भाग ही हम देख पाते हैं।
अब तक चांद पर केवल 12 लोग ही गए हैं यानी 1972 के बाद कोई नहीं गया।धरती से चांद का केवल एक हिस्सा ही धरती से देख सकते हैं, दूसरा नहीं। केवल अंतरिक्ष या नही इस हिस्से की तस्वीरें ले सके हैं। चांद न होता तो हमरी जमीन पर दिन बस 6 घंटे का ही रह जाता।
जब पृथ्वी पर चंद्र ग्रहण लगता है, चांद पर सूर्य ग्रहण लगता है। चांद पर पानी की खोज भारत ने की है जबकि वैाानिक मानते तो थे, परंतु खोज भारत ने ही की।
चंद्रमा गोल नहीं अंडाकार है, इसलिए किसी की तारीफ चांद से करते समय ध्यान रखें और यह भी जान लें कि जब कि चांद पर मानव ने 6 झंडे गाड़े और बुज एल्ड्र्नि पहले सज्जन हैं जो चांद पर पेशाब तक कर आए हैं।