नए संसद भवन के उदघाटन के बहिष्कार से कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का चेहरा बेनकाब हुआ: शक्ति देवशाली

बोले- ऐसे राजनीतिक दलों की राष्ट्रनिष्ठा और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़े होना स्वाभाविक

CHANDIGARH, 26 MAY: चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा के प्रशिक्षण विभाग के संयोजक एवं पूर्व पार्षद शक्ति प्रकाश देवशाली ने कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दलों की विशुद्ध रूप से भारतीयता की परिचायक ‘नई संसद’ के उदघाटन के बहिष्कार के लिए आलोचना करते हुए कहा कि 28 मई का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों द्वारा इस ऐतिहासिक अवसर का बहिष्कार करने से देशवासियों के समक्ष उनका असली चेहरा उजागर हुआ है, जो सिद्ध करता है कि वे औपनिवेशिक इतिहास से चिपके रहना चाहते हैं और भारतीयता की प्रखरता से खिन्न होते हैं।

देवशाली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उदघाटन पर विधवा-विलाप कर रहे कांग्रेसजनों को शायद इतिहास की जानकारी नहीं है। इससे पूर्व 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संसद के एनेक्सी भवन का उदघाटन किया गया था। इतना ही नहीं, 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा संसदीय पुस्तकालय का शिलान्यास किया गया था। न तो भारतीय जनसंघ ने 1975 में और न ही कालांतर में भारतीय जनता पार्टी ने कभी इसका विरोध किया। इस सबके बावजूद कांग्रेस द्वारा किया जा रहा बहिष्कार हास्यास्पद ही कहा जा सकता है।

देवशाली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत और भारतीयता का परचम पूरे विश्व में फहरा रहा है। देश से परतंत्रता की निशानियों को हटाकर भारत की गौरवशाली परंपरा का प्रदर्शन किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब औपनिवेशिक मानसिकता वाली कांग्रेस पार्टी और इसके नेताओं के लिए असहनीय हो रहा है। राजनीतिक विरोध तक तो सही है लेकिन जब कोई विपक्षी दल भारत का गौरव बढ़ाने वाले ऐतिहासिक अवसरों का बहिष्कार करने की बात करता है तो प्रत्येक देशवासी के मन में ऐसे राजनीतिक संगठन की राष्ट्रनिष्ठा और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़े होने स्वाभाविक हैं।

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