उत्तराखंड फिल्म उद्योग की उत्कृष्टता के लिए पुरस्कृत फिल्मकारों की पहल
CHANDIGARH, 19 MAY: पिछले दो वर्षों में, उत्तराखण्ड राज्य को सिनेमा के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त हुई जब ‘सुनपट’ और ‘पताल-ती’ नामक दो फिल्मों ने इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया में देश का अत्यधिक प्रतिष्ठित ‘इंडियन पैनोरमा’ पुरस्कार जीता। इस उपलब्धि ने उत्तराखण्ड को विश्व पटल पर प्रस्तुत कर राज्य के फिल्म जगत को नयी संभावनायें तराशने की दिशा दी है। मौल्यार फिल्म्स द्वारा टैगोर थियेटर, सेक्टर-18 में अनुभूति उत्तराखंड-सिनेमास्कूप कार्यक्रम के तहत इन दोनों फिल्मों सुनपट और पताल-ती की आम जनता के लिए स्क्रीनिंग रखी गई है। 10 जून को शाम 5 बजे और रात 8 बजे से इन फिल्मों का एक-एक शो होगा जिसके लिए 299 और 499 रूपये अदा करने होंगे। रचनात्मक जुनून की भावना के साथ इन फिल्मों के निर्माता पहली बार चण्डीगढ़ में इन फिल्मों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं, ताकि लोगों को बड़े पर्दे पर सामुदायिक तौर पर उत्तराखण्ड के सिनेमा का अनुभव मिले।
कार्यक्रम प्रबंधक जया शर्मा ने आज चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उक्त जानकारी देते हुए बताया कि दोनों फिल्में उत्तराखण्ड के दूरस्थ गावों में शूट की गयी हैं। फिल्म में अभिनय करने वाले गाँव के स्थानीय लोग हैं, जिनके प्रदर्शन ने विभिन्न फिल्म महोत्सव में फिल्म क्रिटिक्स को हैरानी में डाल दिया। पिछले साल दिल्ली में हुई पहली सार्वजनिक स्क्रीनिंग के दौरान लोगों ने स्टैंडिंग ओवेशन से इनको सम्मानित किया।
उन्होने कहा कि ये फिल्में उन लोगों के लिए एक विशेष महत्व रखती हैं जो अपने पैतृक गांवों से दूर चले गए है, जिनके माध्यम से वे अपनी जड़ों से फिर से जुड़ पाएं और उस समाज की गहराई को समझ पाएं, जिसे उन्होंने कई साल पहले पीछे छोड़ दिया है। ये फिल्में भूगोलिक और भावनात्मक अंतराल को पाटती हैं, और प्रवासी उत्तराखण्डियों के बीच अपनेपन की भावना को फिर से जगाती है। ये फिल्में लोगों में गर्व, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक संवाद की भावना को भी बढ़ावा देती हैं।
पाताल-ती के निर्देशक संतोष रावत ने इस अवसर पर कहा कि हमारा लक्ष्य उत्तराखण्ड की ओर दुनिया भर से ध्यान आकर्षित करना है। उत्तराखण्ड, एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के नाते अक्सर केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन आकर्षणों से जुड़ा होता है। हालांकि, असली उत्तराखण्ड दर्शकों की नजरों से ओझल रहता है। इन फिल्मों के माध्यम से हम अपनी संस्कृति और समाज के वास्तविक सार को प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं, जिससे लोग उत्तराखण्ड के समृद्ध चित्रपट को सही रूप में जान सकें।
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में, इन फिल्मों में हिमालयी क्षेत्र के प्रामाणिक प्रतिनिधित्व ने विदेशी दर्शकों को हैरान कर दिया है। इसने ऑस्कर विजेता साउंड डिज़ाइनर रेसुल पुकुट्टी सहित प्रसिद्ध फिल्म हस्तियों का ध्यान और सहयोग आकर्षित किया, जिन्होंने पाताल-ती की साउंड डिज़ाइन और एडिटिंग का काम किया है। फिल्मों की गुणवत्ता और विजन ने इन सिनेमा के दिग्गजों को फिल्म में अपना योगदान देने के लिए आश्वस्त किया है, जो फिल्म के कलात्मक और तकनीकी पहलुओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाते हैं।
सुनपट के निर्देशक और अनुभूति उत्तराखंड कार्यक्रम के निर्माता राहुल रावत ने इस अवसर पर कहा कि हमारा बड़ा लक्ष्य उत्तराखण्ड समुदाय के लोगों और सिनेमा प्रेमियों को ये फिल्में दिखाकर उत्तराखण्ड सिनेमा की ओर आकर्षित करना है, खासकर नयी पीढ़ी को, जो एक जीवंत फिल्म बाजार के निर्माण में योगदान कर सकती है। यह पहल आने वाले समय में अधिक फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करेगी, स्थानीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करेगी, और उत्तराखण्ड में फिल्म उद्योग के विकास को बढ़ावा देगी। जिससे राज्य में एक समृद्ध सिनेमा संस्कृति का विकास होगा, और अंततः सांस्कृतिक संरक्षण, पर्यटन प्रचार, सामाजिक जागरूकता, सामुदायिक जुड़ाव और राज्य के आर्थिक और समग्र विकास में मदद करेगा”।
उन्होने उत्तराखण्ड के समुदाय और सिनेमा प्रेमियों का आह्वान किया कि वे बड़ी संख्या में आगे आएं और उत्तराखण्ड की रचनात्मक प्रतिभाओं का समर्थन करें।