व्यंग्य: आया सावन घूम के
अब नए गीत बनाने के लिए कवि भी बेचारा मूड कैसे बनाए ? मानसून की जिद के आगे यही लिखेगा -आया सावन घूम के….। सावन का महीना, अग्निवीर करें सोर….। लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है….हर जगह ट्रेनें जली खड़ी हैं…। आज मौसम बड़ा बेईमान है… कुछ लोगों का मानना है कि मौसम विभाग का नाम अब […]
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