विचार-मंथनः राजनीति का नया स्वरूप दंगा पॉलिटिक्स

क्या सरकार का डर खत्म हो गया? क्या वे नहीं जानते कि सरकार कठोर कार्रवाई करेगी? सोशल मीडिया में तो लोग यहां तक कहने लगे हैं कि शुक्रवार को पत्थरबाजी का दिन और शनिवार को बुलडोजर का दिन घोषित कर दिया जाना चाहिए। फिर भी इन लोगों के हौसले बुलंद हैं। इसे क्या समझा जाए? […]

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Today Gold-Silver Price: सोने मं स्थिर, चांदी में उछाल, जानिए ताजा भाव

⚖ CHD SARAFA ASSO.®⚖15/11/2021, MONDAY? 1859.42 ?74.42GOLD LIVE~ 49150PLATE-99.50~50750HALLMARKED JEWELLRY RATES23 KT ~ 4950022 KT SELL~4790020 KT SELL~4390018 KT~3980014 KT~31100GINNI~39600SILVER LIVE 69000SILVER 999.9 ~68700SURAJ CHAUHAN09815699311

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विचार-मंथनः गीत गाया पत्थरों ने

रामप्पा ने 40 सालों में जो बनाया था वो केवल मंदिर नहीं था, वो विज्ञान का सार था तो कला का भंडार था। यह कलाकृति एक शिव मंदिर है जिसे रुद्रेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। किसी शिल्पकार के लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि उसके द्वारा बनाया गया मंदिर उसके

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विचार-मंथनः मजहबी स्वतंत्रता के नाम पर आर्थिक युद्ध !

धर्म अथवा पंथ जब तक मानव के व्यक्तिगत जीवन का हिस्सा बनने तक सीमित रहे, वो उसकी आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बनकर उसमें एक सकारात्मक शक्ति का संचार करता है। जब वो मानव के व्यक्तिगत जीवन के दायरे से बाहर निकल कर समाज के सामूहिक आचरण का माध्यम बन जाता है तो वो समाज में

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विचार-मंथनः OTT प्लेटफार्म पर अंकुश जरूरी

कैरियर बनाने की इच्छा रखने वाले हर उम्र के लोगों के लिए इसने बगैर किसी भेदभाव के अनेक द्वार खोल दिए हैं। आज के युग में तकनीक, जिसे टेक्नोलॉजी कहते हैं, लगातार और तीव्रता के साथ बदल रही है। इसके व्यावहारिक पक्ष को हम सभी ने कोरोनाकाल में विशेष तौर पर महसूस किया, जब घर

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विचार-मंथनः कोरोना ने मानव को नहीं, मानवता को परास्त किया

शहर एक-एक सांस के लिए मोहताज था, जब एक क्षण की सांस भी मौत को जिंदगी से दूर धकेलने के लिए बहुत थी, तब इन नेताओं के लिए तीन घंटे का फोटो सेशन भी कम पड़ रहा था। त्राहिमाम के इस काल में संवेदनहीनता की पराकाष्ठा यहीं तक सीमित नहीं रही। कभी सरकारी अस्पताल से

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विचार-मंथनः ऐसे फैसले किसी वज्रपात से कम नहीं

ऐसे फैसले लेते समय सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि इन बचत खातों में अधिकतर मध्यम वर्ग ही निवेश करता है। यही बचत उसके बुढ़ापे या बुरे समय की पूंजी होती है, क्योंकि उसके बुढ़ापे के लिए सरकार की तरफ से न तो कोई पेंशन योजना है और न ही उसकी बीमारी के लिए कोई

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विचार-मंथनः देश की राजनीति की दिशा तय करेंगे पांच राज्यों के चुनाव

वो दल, जो केवल हिंदी भाषी राज्यों तक सीमित था, आज असम में अपनी सरकार बचाने के लिए मैदान में है। केरल तमिलनाडु और पुड्डुचेरी जैसे राज्यों में अपनी जड़ें जमा रहा है तो पश्चिम बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल है। चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। जहां

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विचार-मंथनः आधुनिक तकनीक से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव

यूट्यूब पर फिल्मी-नॉन फिल्मी गानों के बजाय एजुकेशनल वीडियो ट्रेंड करने लगे और यूट्यूब ने शिक्षा के लेटेस्ट प्लेटफार्म का रूप ले लिया देशभर में बोर्ड परीक्षाओं की घोषणा के साथ ही वर्तमान शिक्षण सत्र समाप्ति की ओर है। आजाद भारत के इतिहास में यह पहला ऐसा सत्र है, जो स्कूल से नहीं बल्कि ऑनलाइन

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विचार-मंथनः घोटालों के बादल और चुनावी हिंसा

घोटाले चुनावी मौसम में ही सामने आते हैं और फिर पांच साल के लिए लुप्त हो जाते हैं पश्चिम बंगाल में चुनाव की औपचारिक घोषणा के साथ ही राजनीतिक पारा भी उफान पर पहुंच गया है। देखा जाए तो चुनाव किसी भी लोकतंत्र की आत्मा होते हैं। सैद्धांतिक रूप से तो चुनावों को लोकतंत्र का

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विचार-मंथनः क्या किसान आंदोलन अपनी प्रासंगिकता खो रहा है?

आज सोशल मीडिया हर आमोखास के लिए केवल अपनी बात मजबूती के साथ रखने का एक शक्तिशाली माध्यम मात्र नहीं रह गया है, बल्कि यह एक शक्तिशाली हथियार का रूप भी ले चुका है। देश में चलने वाला किसान आंदोलन इस बात का सशक्त प्रमाण है। दरअसल, सिंघू बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले दो

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विचार-मंथनः शक्ति के साथ शांति का संदेश देता भारत

अहिंसा के मंत्र से दुनिया को अवगत कराने वाला भारत आज एक बार फिर विश्व के मानचित्र पर मजबूती के साथ उभर रहा है। बिना हथियार उठाए आजादी हासिल करने वाला गांधी का यह देश आज आत्मनिर्भर भारत के मंत्र के सहारे हथियारों का निर्यातक बनने की ओर अग्रसर है। वो भारत जो कल तक दुनिया

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विचार-मंथनः मजहबी स्वतंत्रता के नाम पर आर्थिक युद्ध !

धर्म अथवा पंथ जब तक मानव के व्यक्तिगत जीवन का हिस्सा बनने तक सीमित रहे, वो उसकी आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बनकर उसमें एक सकारात्मक शक्ति का संचार करता है। जब वो मानव के व्यक्तिगत जीवन के दायरे से बाहर निकल कर समाज के सामूहिक आचरण का माध्यम बन जाता है तो वो समाज में

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विचार-मंथनः सभ्य समाज में ऐसी राजनीति स्वीकार्य नहीं

ANews Office: महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त भूचाल आया हुआ है। जिस प्रकार से बीएमसी ने अवैध बताते हुए नोटिस देने के 24 घंटों के भीतर ही अभिनेत्री कंगना रनौत के दफ्तर पर बुलडोजर चलाया और अपने इस कारनामे के लिए कोर्ट में मुंह की भी खाई, उससे राज्य सरकार के लिए भी असहज

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विचार-मंथनः मौत में अपना अस्तित्व तलाशता मीडिया !

ANews Office: आजकल जब टीवी ऑन करते ही देश का लगभग हर चैनल ‘सुशांत केस में नया खुलासा’ या फिर ‘सबसे बड़ी कवरेज’ नाम के कार्यक्रम दिनभर चलाता है तो किसी शायर के ये शब्द याद आ जाते हैं, ‘लहू को ही खाकर जिए जा रहे हैं, है खून या कि पानी, पिए जा रहे हैं।’

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