आज की कविताः मैं ही हूं, मैं ही तो हूं…

जब कभी आभास हुआ है,भीड़ में तन्हा होने का,बहलाया है कह के खुद को,मैं ही हूं, मैं ही तो हूं। जब कभी हताश हुआ मन,असफल प्रयास के होने पर,बहलाया है कह के खुद को,मैं ही हूं, मैं ही तो हूं। जब कभी टूटा है यह दिल,अपनों के अपशब्दों से,बहलाया है कह के खुद को,मैं ही हूं […]

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आज की कविताः मैंने पूछा जिंदगी क्या है ?

मैंने पूछा जिंदगी क्या है ?उसने कहा,ज़िंदगी,मेरी हमदम की जुल्फों में छुपी,अब्र की बूंद है जो,झटकने पे मेरे मन को,भिगा जाती है।मेरी सोई हुई धड़कन को,जगा जाती है। मैंने पूछा ज़िंदगी क्या है ?उसने कहा,ज़िंदगी,मेरी मां का आंचल है,जिसमें छुपकर मैं ,चैन से सो जाती हूं,समेट लेती है वो खुद में,मेरी हर तकलीफ,पौंछती है उसी

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आज की कविताः अनेकता में एकता-हिन्द की विशेषता

एकता चिल्लाई इक दिनसुनो-सुनो मेरी बातनहीं रहोगे मिलजुल करतो शत्रु देंगे मात। मैं तो राष्ट्र हितैषी हूंसुनो सभी मेरी बातयदि करोगे भक्ति मेरीसदा मैं दूंगी साथ। राष्ट्र के हर मानव से कह दोकरे मेरा सम्मानमैं जिताऊंगी तुम्हेंइस बात का रखना ध्यान। राष्ट्र के हित के लिएमुझे कवच बनाओसाधना से मेरी तुममुझको साध जाओ। एकता में

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आज की कविताः सुनो, कुछ यादें भेजी हैं…

सुनो,हवा के साथ कुछ दुआएं भेजी हैं,मर्तबान में रखना,और हर रोज थोड़ी चखना,कुछ नाश्ते में,खाने के साथ भी,मुरब्बे की तरहबहुत फायदा करेंगी। सुनो,बारिश में घोलकर कुछ यादें भेजी हैं,जब कभी अकेलेउदास हो जाओ,शरबत की चंद बूंदों मेंमिला के पीना,या लस्सी के गिलास मेंभर के गटकना,तरोताजा कर देंगीऔर खुशी से भर देंगी। सुनो,माला में पिरो कर

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