व्यंग्य: आया सावन घूम के

अब नए गीत बनाने के लिए कवि भी बेचारा मूड कैसे बनाए ? मानसून की जिद के आगे यही लिखेगा -आया सावन घूम के….। सावन का महीना, अग्निवीर करें सोर….। लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है….हर जगह ट्रेनें जली खड़ी हैं…। आज मौसम बड़ा बेईमान है… कुछ लोगों का मानना है कि मौसम विभाग का नाम अब […]

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हास्य व्यंग्य: मैंने ट्वीट किया

यदि आजादी की लड़ाई के वक्त व्हाट्स एप या ट्विटर होते तो घर बैठे हम सोशल मीडिया पर ही अंग्रेजों को डरा-डरा कर आजादी ले लेते। आज गली-मोहल्ले में किसी के घर के आगे जाकर तू-तू मैं-मैं करने का किसी के पास टेैम नी है जी! सो ट्विटर हैंडल घुमाओ और मोड़ दो अपना मुंह

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हास्य व्यंग्य: बाज आए वर्क फ्रॉम होम से

हमने गाय-भैंसों के बाड़े तो गांव में देखे हैं। आपने भी जरूर देखे होंगे। बचपन में कइयों के मुंह से यह बोलते सुना था- खाला जी का बाड़ा समझ रखा है क्या ? उन दिनों खलीफा भी होंगे, खालाएं भी होंगी और उनके बाड़े भी जरूर रहे होंगे। लेकिन आज तो हमारा खुद का घर,

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व्यंग्यः एक आंसू की कीमत तुम क्या जानो बाबू ?

हम तो बचपन से ही आंसू भरे गीत सुनते आ रहे हैं, गुनगुनाते भी जा रहे हैं। कभी-आंसू भरी हैं, ये जीवन की राहें…या ये आंसू मेरे दिल की जुबान हैं… तेरी आंख के आंसू पी जा…मेरी याद में न तुम आंसू बहाना…मुझे भूल जाना, कभी याद न आना…छोड़ दो आंसुओं को हमारे लिए…वगैरा-वगैरा। जरा

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हास्य व्यंग्य: 14 फरवरी को राष्ट्रीय प्रेम दिवस घोषित हो

वसंत और वेलेंटाइन दोनों का अंग्रेजी में विक्टरी साइन वी है, जो अक्सर नेता चुनाव परिणाम आने से पहले ही दिखाने लगते हैं। इन दोनों का चोली-दामन का साथ है। कभी वेलेंटाइन-डे आगे तो कभी वसंत पहले। कई बार इतना तामझाम, शोरगुल, हो-हुल्लड़, बाजार में रौनक हमारे किसी राष्ट्रीय उत्सव पर नहीं दिखाई देती, जितनी

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हास्य व्यंग्यः मेरी मोटर साइकिल और गणतंत्र दिवस

सुबह-सुबह हवा बहुत अच्छी थी। बाहर निकले तो देखा, हमारी मोटर साइकिल हवा हो चुकी थी। हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई और अपनी भी हवा,  हवाई हो गई। रिपोर्ट लिखाने भागे-भागे पहुंचे  थाने। मुंशी जी व्यस्त थेे, कंप्यूटर में व्यस्त थे । हम चोरी से त्रस्त थे । बुरे ग्रहों से ग्रस्त थे। हौसले

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हास्य व्यंग्य: कोरोना कन्फ्यूज, बंदा महफूज

लो जी, वैक्सीन आ गई। कोरोना ने भी साथ-साथ पल्टी मार ली। अभी वैज्ञानिक सोच ही रहे थे कि कोविड के कितने कजन ब्रदर हैं…? 6 हैें या ज्यादा हैं ? तभी इसके साढ़़ू मिस्टर स्ट्रेन बिन बुलाए टपक पड़े। कोरोना कन्फ्यूज है कि चीन में ही रहूं या ब्रिटेन का चक्कर लगा आऊं ? बाइडेन के देश जाऊं या ब्राजील हो आऊं। भारत में जनता बड़ी स्ट्रांग है। ठंड में लाखों की

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हास्य व्यंग्य: 2021 की पहली सुबह

बड़ी सुहानी सुबह थी।  मौसम विभाग के ऑरेंज अलर्ट के विपरीत आसमान साफ था। हम  हर रोज की तरह टी-शर्ट में लेक की तरफ मार्निंग वॉक के लिए निकल पड़े। ट्रैफिक सिग्नलों पर हरी, लाल बत्तियों के बजाय ऑरेंज लाइटें ही जल रही थीं। लोग बड़े अनुशासन से गाड़ियां चला रहे थे। ट्रैफिक पुलिस नहीं

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