विचार-मंथनः घोटालों के बादल और चुनावी हिंसा
घोटाले चुनावी मौसम में ही सामने आते हैं और फिर पांच साल के लिए लुप्त हो जाते हैं पश्चिम बंगाल में चुनाव की औपचारिक घोषणा के साथ ही राजनीतिक पारा भी उफान पर पहुंच गया है। देखा जाए तो चुनाव किसी भी लोकतंत्र की आत्मा होते हैं। सैद्धांतिक रूप से तो चुनावों को लोकतंत्र का […]
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