आज की कविताः तीखे शब्द
तीखे और कड़वे शब्दहैं कमजोर की निशानी,लेकिन समझ नहीं पाता हैकोई भी अभिमानी। पैर फिसल जाने पर इंसांबच सकता है लेकिन,जुबां फिसल जाए तोबचना होता है नामुमकिन। जब कमाकर खाय मनुष्यतो कहलाये संस्कृति,जब वो छीन कर खाता हैतो बन जाय विकृति। मरणोपरांत ना सोचे, बोलेना कुछ ही कर पाए,जीवित जो ना सोचे, बोलेवो मृतप्रायः कहलाए। […]
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