कोविड के इलाज और टेस्ट के उपाय सुझा रहे याचिकाकर्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया जुर्माना

NEW DELHI: कोविड के टेस्ट और इलाज के तरीके सुझा रहे एक शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फटकार लगाते हुए एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दरअसल शख्स ने उपाय सुझाते हुए और उसे लागू करने के लिए खुद सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। वहीं अब कोर्ट ने याचिका जुर्माना के साथ खारिज कर दी है। साथ ही याचिकाकर्ता को कलकत्ता हाईकोर्ट के कानूनी सेवा प्राधिकरण को जुर्माना का भुगतान करने और इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

इससे पहले खंडपीठ ने शुरुआत में कहा कि वह इस तरह की तुच्छ रिट याचिका के लिए 10 लाख का जुर्माना लगाएंगे, लेकिन याचिकाकर्ता द्वारा यह कहने के बाद कि वह बेरोजगार है। इस पर अदालत ने 1000 रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला दिया।

क्या था मामला

दरअसल, याचिकाकर्ता ने कोरोना के इलाज और दवा के बारे में निर्देश देने की मांग के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप एक डॉक्टर हैं? याचिकाकर्ता ने कहा, ‘नहीं, मैं डॉक्टर नहीं हूं।’ बेंच ने पूछा आपको कोविड के बारे में क्या ज्ञान है? इसपर याचिकाकर्ता ने कहा, ये याचिका वैज्ञानिकों की रिसर्च पर आधारित है, न कि मेरे ज्ञान पर। याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित करते हुए कहा कि वह एक डॉक्टर नहीं है और उसके द्वारा दायर यह याचिका वैज्ञानिक कागजातों के ऊपर आधारित है।

कोर्ट ने 1000 रुपए का लगाया जुर्माना

इसके बाद कोर्ट ने कहा, ‘आप डॉक्टर, मेडिकल छात्र या वैज्ञानिक नहीं हैं। आपको कोविड के बारे में क्या जानकारी है, आपकी योग्यता क्या है?’ इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा, मेरे पास मास्टर्स इन कॉमर्स की डिग्री है। इस पर बेंच ने कहा, ‘कॉमर्स? एक कॉमर्स का छात्र दुनियाभर में डॉक्टरों को सिखाएगा कि कोविड का इलाज कैसे करें? इस तरह की तुच्छ दलीलों के लिए हमें हर्जाना लगाना चाहिए। हम इसके लिए 10 लाख का जुर्माना लगाएंगे।’

लेकिन बाद में याचिकाकर्ता ने कहा कि वह बेरोजगार है और उसके खाते में सिर्फ 1000 रुपए हैं, जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर इतनी ही राशि का जुर्माना लगाया। जानकारी के लिए बता दें कि याचिकाकर्ता ने इससे पूर्व कलकत्ता हाईकोर्ट में इसी सम्बन्ध में एक याचिका दायर की थी, जिसे कलकत्ता हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। ~(PBNS)

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