CHANDIGARH: पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के किसान विरोधी घातक कृषि कानूनों को निष्फल करने के लिए 19 अक्टूबर को सोमवार के दिन पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फ़ैसला किया है।
यह फ़ैसला आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई मीटिंग के दौरान लिया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री एलान कर चुके हैं कि उनकी सरकार संघीय ढांचे के विरोधी और ख़तरनाक कृषि कानूनों के खि़लाफ़ वैधानिक, कानूनी और अन्य सभी तरीकों के द्वारा मुँह-तोड़ जवाब देगी।
मुख्यमंत्री कुछ दिन पहले यह भी कह चुके हैं वह राज्य के कानूनों में ज़रूरी संशोधन करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे, जिसमें केंद्र सरकार के घातक कानूनों के प्रभाव को नकारा जा सके, क्योंकि इनको किसानों के साथ-साथ राज्य के कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिए बनाया गया है।
कैबिनेट के फ़ैसले से पंजाब के राज्यपाल को भारतीय संविधान की धारा 174 के क्लॉज (1) के अंतर्गत 15वीं विधानसभा का 13वें (विशेष) सत्र को बुलाने के लिए अधिकृत किया गया है। यह जि़क्रयोग्य है कि 15वीं पंजाब विधानसभा का 12वां सत्र 28 सितम्बर, 2020 को समाप्त हुआ है, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए ‘किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहित करने और आसान बनाने) बिल-2020’, ‘किसानों के (सशक्तिकरण और सुरक्षा) कीमत का भरोसा और कृषि सेवा संबंधी करार बिल-2020’ और ‘ज़रूरी वस्तु (संशोधन) बिल-2020’ को रद्द करने के लिए सदन में बहुमत के साथ प्रस्ताव पारित किया गया था।