केंद्र सरकार से घटना की गहराई से जांच करवाने की मांग की, कहा- शरारती तत्व स्थानीय निवासी थे, इसका यकीन ही नहीं होता
CHANDIGARH: सिंघू बार्डर पर कुछ शरारती तत्वों की तरफ से आज की हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार को कथित स्थानिक निवासियों की शिनाख्त करने के लिए गहराई से जांच करवाने की अपील की है जिन्होंने सुनियोजित तरीके से पुलिस का सख्त सुरक्षा घेरा तोड़ कर किसानों और उनके सम्मान पर हमला किया है।
मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘क्या यह सचमुच ही स्थानीय निवासी थे?’ उन्होंने इस बात की तह तक जांच करने के लिए कहा कि यह हुल्लड़बाज कौन थे और कहां से आए थे। उन्होंने कहा, ‘मैं यह विश्वास नहीं कर सकता कि स्थानीय लोग किसानों के साथ ऐसा व्यवहार कर सकते हैं। हुल्लड़बाजों को गड़बड़ी फैलाने के इरादे से किसी अन्य जगह से लाया लगता है।’ उन्होंने कहा कि स्थानीय निवासियों की तरफ से किसानों को गद्दार कहा जाना, इस बात के सत्य होने संबंधी वह विश्वास ही नहीं कर सकते।
लाल किले पर हुई हिंसा के मद्देनजर किसानों के खिलाफ शुरु की गई बदनाम करने की मुहिम को तुरंत खत्म करने की मांग करते हुये मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि यदि किसानों को इसी ढंग से बदनाम किया जाता रहा तो इससे हमारी सुरक्षा सेनाएं जिनमें पंजाबियों का 20 प्रतिशत सम्मिलन है, का मनोबल टूट जायेगा। उन्होंने अन्य को भी सावधान करते हुये कहा कि किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार करने से फूट पड़ सकती है, जिससे पंजाब के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। उन्होंने मीडिया को भी स्थिति के साथ संजीदगी और सही ढंग से निपटने की अपील की।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘जो कुछ हो रहा और जो कुछ आज सिंघू बार्डर पर हुआ, ऐसा सब कुछ ही है जो पाकिस्तान चाहता है।’ उन्होंने कहा कि वह लम्बे समय से ही इस बात से चैकस करते आ रहे हैं कि पाकिस्तान, पंजाब की अमन-शान्ति भंग करने के लिए खेती कानूनों के मुद्दे पर बेचैनी पैदा करने के लिए इस मौके को बरतने की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा कि यही नुक्ता उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री के साथ साझा किया था और इस मीटिंग पर ही हो-हल्ला मचाया गया था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री को बताया था कि पाकिस्तान से हथियार, नशे आदि ड्रोनों के द्वारा आ रहे हैं और इनमें से बहुत से पकड़े भी गए और कुछ पार भी हो गए होंगे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों को किसान आंदोलन के दौरान हुई ताजा गड़बड़ और हिंसा में पाकिस्तान की संभावित भूमिका की जांच करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ-साथ केंद्र सरकार को समस्या के हल के लिए बातचीत का रास्ता जारी रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘मैं अब तक इस मसले को सुलझा देता।’ उन्होंने कहा कि मसले के हल के लिए दोनों पक्षों को दोस्त के तौर पर बात करनी चाहिए, न कि दुश्मन के तौर पर। उन्होंने कहा कि इसका सही रास्ता निकालने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के दौरान पंजाब बहुत बुरे समय में से गुजरा है, अब कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने किसानों को गलत नाम के साथ पेश करने वालों की सख्त निंदा की। उन्होंने कहा कि लोगों की विभिन्न विचारधारायें हैं परन्तु आप किसानों को वामपंथी, माओवादी, नक्सली और खालिस्तानी के नामों के साथ नहीं जोड़ सकते।
किसानों के आंदोलन के पीछे उन (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) का हाथ होने के दोषों पर प्रतिक्रिया करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह दुखदायी है कि भाजपा यह समझने की कोशिश किये बगैर ऐसे दोष लगा रही है कि वास्तव में किसान नाराज क्यों हैं, वह यह कानूनों क्यों नहीं चाहते।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे पास छोटे किसान हैं और एम.एस.पी. या आढ़तिया प्रणाली के खत्म होने से उनको भारी नुकसान बर्दाश्त करना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के किसानों की मानसिकता को नहीं समझ रही। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे पंजाब के किसानों ने आंदोलन का नेतृत्व किया परन्तु अब यह आंदोलन देश भर में फैल गया है।
मुख्यमंत्री कहा कि वह और उनकी सरकार और पार्टी किसानों के साथ खड़ी है, इसी कारण उन्होंने राज्य में अपने बिल पास किये। उन्होंने कहा कि देश के हर किसान का दिल इस समय दिल्ली की सरहदों पर है।