वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज की 20वीं पुस्तक का विमोचन: आम आदमी के संघर्ष को बयां करता है काव्य संग्रह ‘काठ होता आदमी’

CHANDIGARH, 11 APRIL: समाज, परिवार व मार्मिक रिश्तों को कविता रूपी सूत्र में पिरोना, फिर समाज के समक्ष उसे एक मजबूत ढंग से प्रस्तुत करना और पाठकों को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर देना, यही तो लेखक करता है। इससे समाज को नई दिशा मिलती है। ऐसी ही एक पुस्तक काठ होता आदमी को 61 कविताओं में माध्यम से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है वरिष्ठ साहित्यकार कवि प्रेम विज ने।

साहित्यकार प्रेम विज की 20वीं पुस्तक काठ होता आदमी का विमोचन आज पंजाब यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर रेणु विज तथा चंडीगढ़ के पूर्व सांसद व भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने पंजाब यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर के कार्यालय में किया।

इस दौरान उनके साथ साहित्यकार प्रेम विज की पत्नी राज विज, वाइस चांसलर के पिता जय देव चीमा, आचार्यकुल चंडीगढ़ के अध्यक्ष केके शारदा, साहित्यकार डॉ. विनोद शर्मा, कवियत्री नीरू मित्तल भी उपस्थित थीं, जिन्होंने प्रेम विज की इस पुस्तक की सराहना की और इसे सभी वर्ग को पढ़ने की जरूरत पर जोर दिया।

पंजाब के जालंधर शहर में मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे प्रेम विज को पढऩे, लिखने का शौक बचपन से ही रहा, लेकिन बड़े भाई के 1962 के युद्ध में शहीद हो जाने के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई,जिससे उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई और जब नौकरी मिली तो उन्होंने अपने पढ़ाई के शौक को पूरा करते हुए एमए, एलएलबी प्राइवेट व इवनिंग क्लासेस के माध्यम से पूरी की।

लेखन में रुचि होने के कारण उन्होंने 19 पुस्तकें लिखी, जिनमें उनकी पहली किताब हास्य व्यंग्य भीड़ का भूगोल थी जिसे पाठकों ने खूब सराहा। उन्होंने अपनी एक अन्य हास्य व्यंग्य किताब परदे के पीछे बखूबी लिखी जिसके लिए उन्हें पंजाब सरकार के भाषा विभाग ने पुरस्कृत भी किया। इससे पूर्व उन्हें पंजाब सरकार ने उनकी कविता संग्रह निहत्थी लड़ाई लड़ते हुए, के लिए सम्मानित किया।

प्रेम विज संवाद-साहित्य अकादमी चंडीगढ़ के अध्यक्ष हैं तथा चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव भी रहे हैं। उनको अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर कई मर्तबा उनके लेखन के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक मंचों द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। उनकी 19 पुस्तकें कविता, काव्य, कहानी आलोचनात्मक लेखन पर आधारित है । उन्होंने रेडियो पत्रकारिता पर भी पुस्तक लिखी है। उनके सक्रियता से चलती कलम के कारण उन्हें पंजाब सरकार द्वारा स्टेट अवार्ड तथा चंडीगढ़ साहित्य एकेडमी अवार्ड ऑफ रिकॉग्नाइज्ड और भाषा विभाग, पंजाब द्वारा से भी सम्मानित किया जा चुका है।

वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने बताया कि अपनी लेखन यात्रा के दौरान सबसे पहले साक्षी साहित्य मंच और बाद में संवाद साहित्य मंच के साथ जुड़ कर गौरवान्वित महसूस हुआ। पुस्तक काठ होता आदमी के बारे में उन्होंने बताया कि यह किताब काव्य संग्रह है। इसमें 61 कविताएं हैं जो समाज, रिश्ते, परिवार, परिवेश संबंधों को लेकर कविता के रूप में पिरोही गई है। इस काव्य को लिखने में उन्हें 6 वर्ष लगें। उन्होंने बताया कि किताब के शीर्षक कविता काठ होता आदमी में आम आदमी की विषम परिस्थितियों का उल्लेख बखूबी किया गया है।

किताब में जीवन के अनुभवों जो प्रत्येक व्यक्ति के साथ कहीं न कहीं घटित होता है, को दर्शाया गया है। किताब लिखने से पूर्व सभी चीजों को बहुत गहनता से महसूस किया। किताब समाज का जीता जागता आईना है। किताब में फौजी का संदूक, अफसर बेटा, मां, बेगाने कविता, गहरे रिश्ते को बयां करती है। एक अन्य कविता उम्र अब रंग दिखाने लगी है, बुजुर्गों की अभिव्यक्ति दर्शाती है।

उन्होंने बताया कि काठ होता आदमी काव्य संग्रह में आम आदमी का जीवन और संघर्ष को चित्रित करती है। पाठक पुस्तक की सभी रचनाओं को पढ़ते समय अपने आसपास के परिवेश या संघर्ष का आभास करेंगे। साहित्यकार प्रेम विज की पुस्तक काठ होता आदमी पंजाब बुक सेंटर सेक्टर 22 में सोमवार से पाठकों के लिए उपलब्ध होगी।

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