मुख्यमंत्री की तरफ से और ज्यादा विद्यार्थियों को दायरे मेें लाने के लिए आय सीमा 4 लाख रुपए तक बढ़ाने का भी फैसला
CHANDIGARH: पंजाब कैबिनेट ने एस.सी. विद्यार्थियों को सरकारी और प्राईवेट संस्थाओं में उच्च शिक्षा हासिल करने के समर्थ बनाने के लिए आज राज्य सरकार की तरफ केंद्र की रद्द की स्कीम की जगह पर एस.सी. पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम की शुरुआत करने को हरी झंडी दे दी।
मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने अधिक से अधिक विद्यार्थियों को लाभ देने के लिए आय सम्बन्धी मापदंड 2.5 लाख रुपए से बढ़ा कर 4 लाख रुपए करने का ऐलान भी किया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता अधीन हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग में डा. बी.आर. अम्बेदकर एस.सी. पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम को अकादमिक सैशन 2021 -22 से लागू करने के लिए मंजूरी दी गई।
यह योजना अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित उन व्यक्तियों के लिए लागू होगी, जो पंजाब के निवासी हैं और पंजाब से (चण्डीगढ़ समेत) दसवीं पास कर चुके हैं। पंजाब के (चण्डीगढ़ समेत) सभी केंद्रीय /राज्य सरकार के अधीन और निजी अदारे इस स्कीम के अधीन कवर किये जाएंगे।
इस प्रस्ताव का कुल वित्तीय बोझ लगभग 600 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। इसमें से सरकारी अदारों की अस्थायी देनदारी तकरीबन 168 करोड़ रुपए होगी जबकि बाकी 432 करोड़ रुपए का बोझ निजी शैक्षिक अदारे और सरकार उठाऐगी। संशोधित स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकार मानती है कि प्राईवेट अदारों को 60 प्रतिशत राशि की प्रतिपूर्ति की जाती है। इस हिसाब से 432 करोड़ रुपए में से सरकार का 60 प्रतिशत हिस्सा 260 करोड़ रुपए बनता है।
यह स्कीम अनुसूचित जातियों के उन हज़ारों विद्यार्थियों को राहत देगी, जो भारत सरकार की तरफ से साल 2018 में अचानक वापस ली गई पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के मौकों से वंचित रह गए थे क्योंकि केंद्र सरकार ने कई संशोधन करके इस स्कीम का सारा बोझ राज्य सरकार पर डाल दिया था। तब से राज्य सरकार को केंद्र की योजना के अंतर्गत कोई अनुदान प्राप्त नहीं हो सका।
सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक आय सम्बन्धी मापदंड में संशोधन अनुसार नयी योजना के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी के माता -पिता की सांझी आय की सीमा 2.50 लाख रुपए से बढ़ा कर 4 लाख रुपए कर दी गई है। अनुसूचित जातियों के विद्यार्थियों पर कोर्स की फ़ीस का कोई बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि उनको नकदी-रहित मुफ़्त शिक्षा प्रदान की जायेगी। इस स्कीम के बाकी नियम और शर्तें भारत सरकार की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम -2018 वाली ही रहेंगी।
जि़क्रयोग्य है कि पंजाब में अनुसूचित जाति भाईचारे की आबादी 31.94 प्रतिशत है और इस श्रेणी के व्यक्ति आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े हुए हैं। जनगणना 2011 के अनुसार पंजाब में अनुसूचित जातियों की साक्षरता दर 68.4 प्रतिशत है जबकि इसके मुकाबले दूसरे भाईचारों की 75.9 प्रतिशत की साक्षरता दर है। राष्ट्रीय पारिवारिक सेहत सर्वेक्षण (एन.एफ.एच.एस.) 2014 -15 के अनुसार साल 2014 -15 में अनुसूचित जातियों के 6 से 17 साल की उम्र वर्ग के 86.8 प्रतिशत विद्यार्थी शिक्षा के लिए स्कूल गए जबकि अन्य वर्गों के 96 प्रतिशत विद्यार्थी स्कूली शिक्षा के लिए दाखि़ल हुए।
हालाँकि भारतीय संविधान के मुताबिक पंजाब के शैक्षिक अदारों में दाखि़ले के लिए अनुसूचित जातियों के विद्यार्थियों को 25 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है परन्तु उच्च शैक्षिक संस्थाओं में ज़्यादा फ़ीसें होना इन विद्यार्थियों के इन संस्थाओं में दाखि़ला लेने में रुकावट बनता है।