आज की कविता: मैं नहीं जानती…
मैं यह तो नहीं जानती,सच कहते किसे हैं ?जो मेरा सच है,वो तेरा झूठ बना है। मैं यह भी नहीं जानती,मासूमियत है क्या ?बस बेझिझक कह दूं,तो शातिर नहीं होती। मैं बहकी हूं ?या बहकाई गई हूं ?नासमझ हूूं जरूर,बेवकूफ नहीं हूं। जानती हूं, पर नहीं,फरेब से गाफिल,जो तेरी कम जफऱ्ी है,मेरी सच्चाई नहीं है। […]
आज की कविता: मैं नहीं जानती… Read More »