टैगोर थिएटर में साहित्य सरिता का आयोजन, साल बदला है, चलो अच्छी बात…

CHANDIGARH, 7 JANUARY: बृहस्पति कला केंद्र एवं संस्कार भारती चंडीगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में मासिक साहित्य सरिता का आयोजन टैगोर थियेटर, चण्डीगढ़ में किया गया। इस दौरान सर्वप्रथम संस्कार भारती के संस्थापक पदमश्री स्वर्गीय बाबा योगेंद्र के जन्म दिवस पर उन्हें याद किया गया।

संस्कार भारती के मार्गदर्शक प्रो. सौभाग्य वर्धन ने बताया कि इस काव्य गोष्ठी में चंडीगढ़ ट्राईसिटी के नामी कवियों और शायरों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन संस्था के विधा प्रमुख डॉ. अनीश गर्ग ने अपनी पंक्तियों के साथ किया “साल बदला है चलो अच्छी बात है..कुछ हम बदल जाते तो कुछ और बात होती”। 

संगीतकार सोमेश गुप्ता ने मां सरस्वती के गुणगान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। ‌तदुपरांत  सत्यवती आचार्य ने, “कूक रही बन पंछी मैं, हूँ यहाँ-वहाँ, कभी उपवन में, हाथ मेरे नहीं आता है, दिखता है मुझे तू , हर कण में, निशा वर्मा ने “पुरुषोत्तम राम राम तुम कृष्ण से क्यूँ ना बने, मस्त मौला क्यूँ तुम सब के कहने से चले, सब कुछ छोड़ा। मुरारी लाल अरोड़ा ने “इक फक्कड़ जोगी गाये, दमादम मस्त कलंदर, इक दिन जग छोड़ के जाना, लगा है सबका नंबर”, डॉ. त्रिपत मेहता ने,”हो बैअत-ऐ-मुर्शिद चली मैं रूहानी राह पर,वसूल कर तेरे दीदारे-हक़ को मैं तारक हो गई”, राजन सुदामा ने,”मेहनत से की कमाई की खाते बुज़ुर्ग थे, रोटी भी अब तो छीन के खाने लगे हैं लोग”, शमशील‌ सोढी ने,”गुड्डी चढ़ू आसमानी तेरी, बहुता ना घबराया कर”,  प्रज्ञा शारदा ने तंज करते हुए कहा,”साल बदल तो क्या हुआ.. लोग तो वही है पड़ोसी भी वही है”, वरिष्ठ पंजाबी कवि वरिंदर चठा ने ,”काहनूं चुप चुप रहन लगा हैं, ज़माने नूं कुछ कहन लगा हैं” पढ़कर महफ़िल में खूब रंग जमाया। 

अंत में मंच संचालक डॉ. अनीश गर्ग ने ,”मैं काजल की कोठी से बेदाग़ आया हूं, मैं ख़्वाहिशों को मरघट में दाग़ आया हूं” सुना कर खूब तालियां बटोरीं। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि प्रेम विज, बलकार सिंह सिद्धू, अशोक भंडारी नादिर, सुरजीत सिंह धीर, आशा कुमारी, डेज़ी बेदी, मनोज सिंह, यशपाल भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रज्ञा शारदा ने की। संस्था के मार्गदर्शक सौभाग्य वर्धन ने सभी कवियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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