अजमेर से गिरफ्तार किया मुहम्मद तौसीफ चिश्ती कैनेडा स्थित लखबीर लंडा का है नजदीकी
CHANDIGARH, 22 OCTOBER: रॉकेट प्रोपेलड ग्रेनेड (आर.पी.जी.) हमले के मुख्य दोषी चड़त सिंह को मुंबई से गिरफ्तार करने से कुछ ही समय बाद पंजाब पुलिस ने उक्त दोषी के खुलासों के आधार पर एक एके-56 असाल्ट राइफल की बरामदगी और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया है, जो उक्त को पनाह देते थे। ज़िक्रयोग्य है कि 9 मई, 2022 को मोहाली में इंटेलिजेंस हैडक्वाटर पर लगभग 19.45 बजे एक आरपीजी हमला किया गया था।
गिरफ्तार किये गए व्यक्तियों की पहचान सैयद मुहम्मद तौसीफ चिश्ती उर्फ चिंकी निवासी अजमेर, राजस्थान और सुनील कुमार उर्फ काला के तौर पर हुई है।
यह कार्यवाही, मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशों पर पंजाब पुलिस द्वारा समाज विरोधी तत्वों के विरुद्ध चल रही जंग के दौरान अमल में लाई गई है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये डीजीपी पंजाब गौरव यादव ने बताया कि मुलजिम चड़त सिंह के खुलासे पर पुलिस टीमों ने एक एके-56 सहित 100 कारतूस और एक .30 बोर की पिस्तौल बरामद की है।
उन्होंने बताया कि चड़त सिंह की पूछताछ के बाद ही उक्त मामले को सुलझाते हुए पुलिस टीमों ने राजस्थान के अजमेर से सैयद मुहम्मद तौसीफ चिश्ती उर्फ चिंकी को गिरफ्तार किया है।
डीजीपी ने कहा कि जांच में सामने आया है कि मुलजिम चिंकी पिछले 5-7 सालों से लखबीर लंडा के संपर्क में था और लंडा के निर्देशों पर चिंकी ने अजमेर में अल-खादिम नाम के एक गेस्ट हाऊस में चड़त के लिए ठहरने का प्रबंध किया था। चड़त ने कबूला है कि लंडा ने चिंकी को करीब 3 से 4 लाख रुपए भेजे हैं।
उन्होंने बताया कि चड़त के एक अन्य साथी जिसकी पहचान सुनील कुमार उर्फ काला के तौर पर हुई है और जिसने चड़त सिंह को अमरीका स्थित जगरूप सिंह उर्फ रूप के निर्देशों पर ठिकाने मुहैया करवाये थे, को भी रोपड़ से गिरफ्तार कर लिया गया है। श्री आनन्दपुर साहिब का रहने वाला जगरूप रूप लखबीर लंडा का करीबी माना जाता है।
डी. जी. पी. गौरव यादव ने कहा कि पंजाब पुलिस मुख्यमंत्री भगवंत मान की सोच अनुसार राज्य को अपराध मुक्त बनाने के लिए यत्नशील है।
ज़िक्रयोग्य है कि मुलजिम चड़त जो एक आदतन अपराधी है और पंजाब में कत्ल, इरादातन कत्ल और हथियार एक्ट के अंतर्गत कई घृणित अपराधों के मामलों का सामना कर रहा है। उसने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी हरविन्दर सिंह उर्फ रिन्दा के द्वारा पाकिस्तान आईएसआई के सक्रिय सहयोग से सरहद पार एक आरपीजी, एक एके-47 और अन्य हथियार भी मंगवाए थे। मुलजिम एक कत्ल केस में उम्र कैद की सजा काट रहा था और आर. पी. जी. हमले के समय वह पैरोल पर बाहर आया हुआ था। अपनी पैरोल की मियाद के दौरान, चड़त ने आरपीजी हमले को अंजाम देने के लिए तरन तारन क्षेत्र से निशान कुल्ला और अन्यों समेत अपने साथियों को दोबारा इकट्ठा किया, जिसका उद्देश्य राज्य में सांप्रदायिक सदभावना और शांति को अस्थिर करना था।