CHANDIGARH : उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, पंजाब द्वारा ग्लोबल अलायंस फॉर मास ऐंटरप्रेन्योरशिप (जी.ए.एम.ई.) के सहयोग से राइट टू बिजनेस ऐक्ट, 2020 के अंतर्गत 2 महीने चलने वाली एम.एस.एम.ई. रजिस्ट्रेशन मुहिम की शुरूआत की गई।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए उद्योग विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि पिछले हफ़्ते ग्लोबल ऐंटरप्रन्योरशिप सप्ताह के दौरान लुधियाना जि़ले से मुहिम की शुरुआत की गई और यह मुहिम धीरे-धीरे राज्य भर में चलाई जायेगी।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि औद्योगिक संगठनों, प्रमुख उद्यमियों, एन.जी.ओज़, नीति निर्माताओं सहित मुख्य हितधारकों के साथ एक वैबिनार आयोजित किया गया जिसमें उनको राइट टू बिजनेस ऐक्ट के अंतर्गत सैद्धांतिक मंजूरी और डीम्ड अप्रूवल के लिए प्रबंधों और प्रक्रियाओं बारे जानकारी दी गई।
पंजाब सरकार द्वारा हाल ही में राइट टू बिजनेस ऐक्ट नोटीफायी किया गया जो नये शामिल किये एम.एस.एम.ईज़ के लिए स्व-घोषणा सम्बन्धी एक आसान प्रक्रिया की पेशकश करता है और उनको 3.5 सालों के लिए राज्य में स्थापित और संचालन के लिए आवश्यक मंजूरियां और निरीक्षणों से छूट देता है।
अन्य विवरण देते हुए प्रवक्ता ने आगे बताया कि यह ऐक्ट राज्य सरकार और स्टेट नोडल एजेंसी की समूची निगरानी, दिशा-निर्देश और नियंत्रण अधीन हर जिले में जि़ला ब्यूरो ऑफ इंटरप्राईज़ (डी.बी.ई.) की व्यवस्था करता है। डी.बी.ई. का नेतृत्व सीईओ के तौर पर डिप्टी कमिश्नर द्वारा और अतिरिक्त सीईओ के तौर पर जि़ला उद्योग सैंटर (डी.आई.सी.) के जनरल मैनेजर द्वारा किया जाता है और अन्य मैंबर सरकार की तरफ से समय-समय पर नोटीफायी किये जाते हैं।
डीबीई प्राप्त हुए ‘घोषणा पत्र’ का रिकार्ड रखता है और जांच समिति की शिफारिशों के मुताबिक ऐक्ट अधीन स्वीकृत औद्योगिक पार्कों में 3 कार्य दिवसों के भीतर और स्वीकृत औद्योगिक पार्कों से बाहर 15 कार्य दिवसों में ‘सैद्धांतिक स्वीकृति प्रमाणपत्र’ जारी करता है। मंजूरी के उपरांत, एक नयी एम.एस.एम.ई. इकाई अपने प्रोजैक्ट को तुरंत शुरू करने के योग्य हो जायेगी और ‘सैद्धांतिक स्वीकृति प्रमाणपत्र’ जारी होने के साढ़े 3 साल के अंदर अंदर रेगुलेटरी परवानगी के लिए अर्जी दे सकती है।
इस मुहिम की शुरुआत सम्बन्धी करवाए गए वैबिनार की अध्यक्षता उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री अलोक शेखर द्वारा की गई। शेखर ने कहा कि राइट टू बिजनेस ऐक्ट का उद्देश्य स्व-घोषणा के प्रबंध को योग्य बनाकर नये शामिल किये गए एम.एस.एम.ईज़ पर रेग्यूलेटरी के बोझ को घटाना है और उनको राज्य में एम.एस.एम.ईज़ की स्थापना और संचालन सम्बन्धी मंजूरियों और निरीक्षणों से छूट देना है।
इस मौके पर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के डायरैक्टर सिबिन सी. मौजूद थे और उन्होंने उद्यमियों और उद्योगों की ऐसोसीएशनों की चिंताओं, फीडबैक और सुझावों के महत्व बारे बताया। उन्होंने पंजाब में उद्यमियों की वृद्धि के लिए उचित माहौल की ज़रूरतों सम्बन्धी विभाग की एकीकृत और विकसित होने की इच्छा और ताकत ज़ाहिर की।अब तक पटियाला और एस.ए.एस.नगर के 2 उद्यमियों ने क्रमवार 13 और 10 कार्य दिवसों में अपने कारोबारों को राइट टू बिजनेस ऐक्ट अधीन रजिस्टर किया।
विभाग ऐक्ट अधीन नोटीफायी किये गए सुधारों के लागूकरण के प्रति पूरी तरह वचनबद्ध है और हितधारकों से मैंबर संस्थाओं और उद्यमशीलता नैटवर्क के दरमियान ऐक्ट की धाराओं सम्बन्धी जानकारी के प्रसार के लिए वचनबद्धताओं की माँग करता है।
इस वैबिनार में दूसरों के अलावा उपकार सिंह आहूजा (सी.आई.सी.यू.), बदिशक जिन्दल (फैडरेशन ऑफ पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज ऐसोसीएशंस), मनजीत सिंह मठाड़ू, (एफ.आई.सी.ओ., लुधियाना का मेघा मशीन टूल समूह), गुरमीत सिंह कुलर (एफ.आई.सी.ओ.), चरनजीव सिंह और विनोद थापर (निट्टवेयर एंड टेक्स्टाईल हब), अशोक मक्कड़ (पंजाब डायजऱ् ऐसोसीएशन), जीवन गोपीसैटी (एन.ई.एम.ओ.), ऋषी अग्रवाल (अवंतीस रैगटेक), प्रशांत नारंग (सिविल सोसायटी सैंटर), स्वाती मुरली शामिल थे।