संवाद साहित्य मंच चंडीगढ़ ने सेक्टर-43 के कम्युनिटी सेंटर में किया आयोजन
CHANDIGARH, 15 JULY: संवाद साहित्य मंच चंडीगढ़ की ओर से कवि दिनेश भल्ला के नवप्रकाशित पहले काव्य संग्रह तेरेे नाम का विमोचन सेक्टर-43 के कम्युनिटी सेंटर में किया गया। इसके उपरांत उपस्थित कवियों, साहित्यकारों ने पुस्तक पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आचार्यकुल चंडीगढ़ के अध्यक्ष केके शारदा ने शिरकत की। अध्यक्षता पार्षद प्रेम लता ने की, जबकि कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में संवाद साहित्य मंच चंडीगढ़ के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज उपस्थित हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई, जिसे सोमेश ने बखूबी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संगीता शर्मा कुंद्रा ने किया। इसके उपरांत उपस्थित कवियों और साहित्यकारों ने काव्य संग्रह तेरे नाम पर अपने विचार रखे और पुस्तक पर चर्चा की। उन्होंने अपनी कविताओं को भी प्रस्तुत किया। कवि डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने दिनेश भल्ला के काव्य संग्रह तेरे नाम पर अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि इस काव्य पुस्तक में कवि ने अपने मन के भावों को बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है। साहित्यकार प्रेम विज ने कहा कि कवि ने अपने साहित्यिक सफर में परिवार के योगदान को व्यक्त किया है। साथ ही हिंसा और नफरत भरी दुनिया को प्यार का संदेश दिया है। कवि व शायर अनीश गर्ग ने कहा कि कवि ने अपने जज्बातों को बहुत ही सीधे-साधे ढंग से व्यक्त किया है, जिसमें तनहाई भी है, यादें भी हैं, लबों पर मुस्कान भी है। डॉ. संगीता शर्मा कुंद्रा ने कहा कि सभी कविताएं पढ़ते समय दिमाग में एक आकृति बनती है और भाव प्रकट होते हैं।
कवि दिनेश भल्ला ने बताया कि इस काव्य संग्रह में कुल 53 कविताएं हैं, जो कि श्रंगार रस में डूबी हुई हैं, जिन्हें पाठक पढकर अच्छा अनुभव करेगा। सभी कविताएं बहुत ही सरल भाषा में हैं, जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है। उन्होंने बताया कि वे अंतर्मुखी स्वभाव के हैं। इसलिए अपनी कविताओं को दूसरे के समक्ष प्रस्तुत करने में हिचकिचाहट हुई लेकिन भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्ति के उपरान्त उन्होंने अपनी रुचि को पूरा करने के लिए अपने जज्बातों, अरमानों आदि को शब्दों के रंगों में रंगने का कार्य आरम्भ किया। सभी कविताओं को पन्नों पर उतारा। फिर पत्नी सविता भल्ला, बेटी नेहा भल्ला सूद, दामाद सिद्धांत सूद, बेटा साहिल भल्ला और बहु रूचिका भल्ला द्वारा मनोबल बढ़ाने पर इस संग्रह को पुस्तक में बदल दिया गया। उनके छोटे भाई संजीव भल्ला ने इन कविताओं के प्रकाशन में तथा इन्हें अन्तिम रूप देने में सहायता की। पुस्तक में विभिन्न विषयों मुख्यतः हुस्न, इश्क, यादें, गम, जुदाई, विरह आदि को शब्दों में पिरोने का प्रयास किया गया है। जो भावनाएं लब से कही नहीं गईं, उन्हें लिख कर प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने अच्छे संस्कार देकर हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय कवि दिनेश देवघरिया तथा प्रकाशक सागर सूद संजय का आभार जताया, जिन्होंने उन्हें सही मार्गदर्शन दिया।
इस अवसर पर कवियत्री विमला गुगलानी ने बरसात के बहते पानी में आओ फिर से नव चलाएं कविता पेश की। डॉ. प्रज्ञा शारदा ने रिश्तों के बदलते रूप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि रिश्तों ने आंखें मूंदी ऐसे, बिल्ली देख कबूतर जैसे। ना फोन ना हाल ही जाना, शहर में रहते हों ना जैसे। किरण आहूजा ने मुखौटे कविता पेश करते हुए कहा, सुबह आईने में ढेर सारे मुखोटे को देख मैं आश्चर्यचकित हो चकरा गया। इनके अलावा डॉ. शशि प्रभा, डेजी बेदी जुनेजा, राशि श्रीवास्तव, कृष्ण गोयल, बाल कृष्ण गुप्ता, गुरदर्शन सिंह मावी, सिमरत जीत कौर ग्रेवाल, परमजीत परम, पूजा सैनी, अशोक नादिर, आरके भगत ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। काव्य पाठ में लगभग एक दर्जन हिंदी व पंजाबी के कवियों ने कविताएं प्रस्तुत कर खूब प्रशंसा बटोरी।