पंजाब कैबिनेट द्वारा लगभग 90 साल पुराने फीस ढांचे को सुधारने के लिए इंडियन पार्टनरशिप ऐक्ट, 1932 में संशोधन को मंज़ूरी
CHANDIGARH: पंजाब सरकार द्वारा इंडियन पार्टनरशिप एक्ट-1932 अधीन लगभग 90 साल पुराने फीस ढांचे में संशोधन करने का फ़ैसला किया गया है, ताकि इस ढांचे को दूसरे राज्यों के बराबर लाया जाए। यह फैसला शुक्रवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया।
मंत्रिमंडल द्वारा एक्ट की धारा 71 अधीन अनुसूची-1 में फर्मों का रजिस्ट्रेशन, रिकार्डों का अपडेशन, निरीक्षण और कॉपी करने सम्बन्धी दर्ज अलग-अलग सेवाओं के लिए फीस में संशोधन करने हेतु ‘इंडियन पार्टनरशिप (पंजाब संशोधन) बिल, 2021’ को मंजूरी दे दी गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि एक्ट की अनुसूची-1 में शामिल विभिन्न सेवाओं के लिए निर्धारित फीस इस समय बहुत कम है और समय के साथ इसमें संशोधन करने की ज़रूरत है, क्योंकि 1932 में एक्ट के लागू होने के बाद से इस मौजूदा फीस में कोई संशोधन नहीं किया गया।
संशोधन के मुताबिक अब आवेदन के रजिस्ट्रेशन के लिए धारा 58 के अंतर्गत स्टेटमेंट के लिए 5000 रुपए वसूल किए जाएंगे। इसके लिए पहले 3 रुपए वसूले जाते थे। प्रवक्ता ने बताया कि धारा 60 के अंतर्गत कारोबार के मुख्य स्थान और फर्म के नाम में तबदीलियां दर्ज करवाने, धारा 61 के अंतर्गत शाखाओं को बंद करने और खोलने की सूचना देने, धारा 62 के अंतर्गत भागीदारों के नाम और पते में तबदीली सम्बन्धी सूचित करने के लिए, धारा 63 (1) और 63 (2) के अंतर्गत किसी फर्म में तबदीलियां और भंग करने, किसी नाबालिग का नाम वापस लेने के अलावा धारा 64 के अंतर्गत क्रमवार गलतियों के सुधार के लिए आवेदन देने जैसी सेवाओं के लिए मौजूदा समय में ली जाती फीस 1 रुपए की जगह संशोधित ढांचे के अंतर्गत प्रत्येक स्टेटमेंट के लिए 500 रुपए अदा करने होंगे।
इसके अलावा धारा 66 की उप-धारा (1) अधीन फर्मों के रजिस्टर के एक भाग की जांच करने के लिए और धारा 66 की उप-धारा (2) अधीन रजिस्टर और दायर किये गए दस्तावेज़ों की जांच सम्बन्धी एक फर्म के साथ सम्बन्धित सभी दस्तावेज़ों की जांच के लिए अब पुरानी फीस 50 पैसे की जगह 100 रुपए लिए जाएंगे और धारा 67 अधीन कॉपियों उपलब्ध करवाने के लिए फर्मों के रजिस्टर की कापियों सम्बन्धी हर 100 शब्दों या इसके कुछ हिस्से के लिए पिछली फीस 25 पैसे के मुकाबले अब 20 रुपए लिए जाएंगे।
जि़क्रयोग्य है कि पंजाब और हरियाणा को छोडक़र महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य बड़े राज्यों द्वारा इंडियन पार्टनरशिप ऐक्ट, 1932 अधीन दी जाती विभिन्न सेवाओं के लिए और ज्यादा फीस वसूली जाती है।