NEW DELHI, 24 MARCH: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को आज लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया है। लोकसभा सचिवालय की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के अब छह साल तक कोई भी चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध की तलवार भी लटक गई है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) इस समय केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद थे। उनके खिलाफ यह कार्रवाई उनकी मोदी सरनेम टिप्पणी पर कल उन्हें आपराधिक मानहानि मामले में अदालत से दोषी ठहराए जाने के बाद की गई है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा झटका है। इससे कांग्रेस भी सकते में आ गई है। पार्टी शाम चार बजे इस मामले को लेकर प्रेस कांफ्रैंस करने जा रही है। इसके बाद पार्टी के केंद्रीय नेता बैठक कर अगली रणनीति पर फैसला लेंगे।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर इस बड़ी कार्रवाई के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भाजपा ने उन्हें अयोग्य ठहराने के सभी तरीके आजमाए। जो सच बोल रहे हैं, उन्हें वो लोकसभा में रखना नहीं चाहती लेकिन हम सच बोलते रहेंगे। अडानी मामले पर हम जेपीसी की मांग जारी रखेंगे, जरूरत पड़ी तो लोकतंत्र बचाने के लिए जेल जाएंगे।
बता दें कि गुजरात स्थित सूरत की एक अदालत ने कल 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई है। 2019 में ‘मोदी सरनेम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में ये सजा सुनाई गई है। हालांकि सूरत अदालत ने राहुल को सजा सुनाने के बाद उन्हें जमानत देते हुए उनकी सजा के अमल पर 30 दिन तक रोक लगा दी थी, ताकि वह फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें। अब राहुल गांधी के पास ऊपरी अदालत में फैसले को चुनौती देने का समय है।
उल्लेखनीय है कि जनप्रतिनिधित्व कानून यह कहता है कि दो साल या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को ‘दोष सिद्धि की तारीख से’ अयोग्य घोषित किया जाएगा और वह सजा पूरी होने के बाद जनप्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक अयोग्य रहेगा। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अपीलीय अदालत राहुल की दोष सिद्धि और दो साल की सजा को निलंबित कर देती है तो वह लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होंगे।
’मोदी’ उपनाम को बदनाम करने के दोषी करार
• गुजरात की सूरत की एक अदालत ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी को ‘मोदी’ उपनाम को बदनाम करने का दोषी ठहराया और दो साल की जेल की सजा सुनाई।
• आरोप था कि राहुल गांधी ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे ‘मोदी’ समुदाय का मान घटाया।
क्या है मामला ?
• 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। उन्होंने अप्रैल 2019 में एक रैली में कहा था, “मेरा एक सवाल है। मुझे एक बात बताओ … नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी …कैसे सभी चोरों का नाम मोदी है? हम नहीं जानते कि ऐसे और कितने मोदी निकलेंगे।”
• नीरव मोदी 13,000 करोड़ रुपए के पीएनबी धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी है और तब तक भारत से भाग चुका था। ललित मोदी कथित आईपीएल घोटाले में आरोपी हैं। वह भी भारत से भाग गया था।
• भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने सूरत में मजिस्ट्रेट अदालत का रुख किया और राहुल गांधी पर एक पूरे समुदाय को बदनाम करने का आरोप लगाया।
इसे लेकर क्या कहता है कानून ?
• अनुच्छेद 102(ई) और 191(ई) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 एक सांसद या विधायक की अयोग्यता से संबंधित है। जुलाई 2013 से पहले, एक सजायाफ्ता सांसद व विधायक सदस्यता की तत्काल हानि के लिए उत्तरदायी नहीं था।
• लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले ने 1951-अधिनियम के प्रावधान को अयोग्य ठहराने में देरी को एक अपीलीय अदालत में लंबित अवधि के लिए असंवैधानिक माना।
• सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार उस साल सितंबर में एक अध्यादेश लाई थी। कुछ दिनों बाद राहुल ने अध्यादेश को “पूरी तरह से बकवास” कहकर खारिज कर दिया था कि “इसे फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए”।
राहुल 8 साल के लिए चुनावी मुकाबले से हो सकते हैं बाहर
• ऐसे में अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 8 साल के लिए चुनावी मुकाबले से बाहर हो सकते हैं (2 साल की जेल + 6 साल की अयोग्यता) — तब तक वह 60 साल के हो जाएंगे।