आय से अधिक संपत्ति रखने सम्बन्धी मामले में अंतरिम ज़मानत आदेश को भी फिर विचारने के लिए की जाएगी अपील
CHANDIGARH: पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने भूमि धोखाधड़ी के मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को 19 अगस्त को मिली रिहाई के आदेश और पूर्व डीजीपी के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मामले में अदालत के 12 अगस्त के अंतरिम ज़मानत के आदेशों के विरुद्ध हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का फ़ैसला किया है।
ब्यूरो द्वारा 1982 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी सैनी के विरुद्ध दायर दो मामलों में जल्द ही पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। सैनी को 18 अगस्त को भूमि धोखाधड़ी मामले (एफ.आई.आर. नंबर 11, मोहाली) में गिरफ्तार किया गया था, जब उन्हें लेकर एक अन्य मामले (एफ.आई.आर. नंबर 13 आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला) के सम्बन्ध में शाम (8 बजे) विजीलैंस ब्यूरो के पास पहुँच की थी। जि़क्रयोग्य है कि सैनी ने हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार 7 दिनों के अंदर एफआईआर नंबर:13 मामले की जांच में शामिल होना था, जिसके मद्देनजऱ मिली अंतरिम ज़मानत के अंतर्गत वी.बी. कार्यालय पहुँचे थे।
सैनी को अंतरिम ज़मानत का आदेश देते हुए अदालत ने 12 अगस्त, 2021 को स्पष्ट कहा था: ‘‘मामले सम्बन्धी दस्तावेज़ी सबूतों या बैंकिंग ट्रांसैक्शन्ज़ के सम्बन्ध में, किसी भी अनछुए पक्ष (अगर कोई हो), में शामिल होने के लिए, इस अदालत का विचार है कि पटीशनर को हिरासत में लेकर पूछताछ की ज़रूरत नहीं है। पटीशनर को आज से एक हफ्ते के अंदर उसकी जांच में शामिल होने के मद्देनजऱ अंतरिम ज़मानत दी जाती है।’’ ब्यूरो के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व डीजीपी ने 7 दिनों की समय-सीमा के आखिरी दिन देर शाम वी.बी. दफ़्तर पहुँचे थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सैनी ने हाईकोर्ट के आदेशों का यथावत पालन करने में असफल रहे हैं।
सैनी जानबूझ कर 7 दिनों की समय-सीमा, जिसके दौरान उन्होंने एफआईआर नं. 13 मामले में उपस्थित होना था, निकलने के उपरांत ब्यूरो पहुंचे थे और इसके अलावा वह सैक्टर-68 मोहाली स्थित ब्यूरो के कार्यालय में जाँच अधिकारी (आई.ओ) को बिना किसी पूर्व जानकारी दिए पहुँचे। प्रवक्ता ने कहा कि दरअसल, सैनी जानबूझ कर आईओ के दफ़्तर, वीबी, यूनिट एस.ए.एस. नगर, क्वार्टर नंबर 69, पुलिस हाउसिंग कॉम्पलैक्स, सैक्टर-62, एस.ए.एस नगर नहीं पहुँचे।
इन हालातों में ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में अंतरिम ज़मानत के आदेश के विरुद्ध अदालत के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करने का फ़ैसला किया है। यह मामला एक्सईएन निमरतदीप की 35 जायदादों और कुछ बैंक खातों से सम्बन्धित है, जिसमें 100 करोड़ रुपए के बकाए और ट्रांजैक्शनें हैं, जिसमें सैनी से सम्बन्धित करोड़ों रुपए शामिल हैं, और यह दिखाता है कि उनके पास आय से कहीं अधिक संपत्ति है। प्रवक्ता ने आगे कहा कि राज्य से भूमि धोखाधड़ी के मामले में नजऱबंद सैनी को रिहा करने के हाईकोर्ट के आदेशों पर पुनर्विचार करने के लिए अपेक्षित आधार भी तैयार किया गया है। सबसे पहले, सैनी को एफआईआर नंबर: 13 (जहाँ उनको अंतरिम ज़मानत मिली थी) के अधीन नहीं बल्कि एफआईआर 11 से सम्बन्धित मामले में हिरासत में लिया गया था, जिसमें उनको गिरफ्तारी से कोई सुरक्षा नहीं थी।
प्रवक्ता ने बताया कि एफआईआर नं. 11 और एफआईआर नं. 13 आपराधिक गतिविधियां अलग-अलग हैं। दूसरा पक्ष यह है कि हाईकोर्ट द्वारा तारीख़ 11.10.2018 और 23.09.2020 को पहले दिए गए सुरक्षा आदेश, इस विशेष मामले पर लागू नहीं होते क्योंकि वह आदेश सेवाकाल के दौरान उक्त अधिकारी द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए गिरफ्तार करने से पहले 7 दिनों के नोटिस देने सम्बन्धी थे। प्रवक्ता ने कहा कि सैनी जून 2018 में सेवामुक्त हुए थे, जबकि साल 2021 में वह गैरकानूनी भूमि धोखाधड़ी के मामले में अपराधी पाए गए, इसलिए उक्त आदेशों के मुताबिक वह नोटिस बिना गिरफ्तारी के सुरक्षित नहीं थे।
जि़क्रयोग्य है, हाईकोर्ट ने 19/8/2021 के अपने आदेश में सैनी की हिरासत को 11/10/2018 और 23/9/2020 के सुरक्षा आदेशों और 12/8/2021 के अंतरिम आगामी ज़मानत के आदेशों का उल्लंघन के अंतर्गत गैरकानूनी घोषित किया गया था। भूमि धोखाधड़ी का उक्त मामले में सैनी का सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल की संपत्ति खरीद समझौते से छेड़-छाड़ करने की साजिश करने में जुड़ता है। ब्यूरो ने सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल, जो निमरतदीप का पिता है, और सुमेध सिंह सैनी पर मकान नंबर 3048, सैक्टर-20/डी, चण्डीगढ़ को कुर्क करने से रोक की साजिश का दोष लगाया था, और उन पर झूठा समझौता को बनाने और इस्तेमाल करने के और दोष लगाए थे। इसलिए, ब्यूरो के अनुसार सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल और सुमेध सिंह सैनी ने आइपीसी की धारा 465, 467, 471 आर/डब्ल्यू 120-बी के अंतर्गत अपराध किया है।