पंजाब विजीलेंस ने गरीबों और बेघरों के लिए मकानों की ग्रांट में घपला करने वाले एक और आरोपी को गिरफ्तार किया

CHANDIGARH, 31 MARCH: भारत सरकार की इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत गरीब और बेघरों के लिए साल 2012 में ग्राम पंचायत गाँव महमदवाल, ज़िला कपूरथला को प्राप्त हुई कुल 13,50,000 रुपए की ग्रांट में से मिलीभगत के द्वारा कुल 45,000 रुपए राशि हड़पने के आरोप में विजीलैंस ब्यूरो पंजाब की तरफ से आज शुक्रवार को गाँव महमदवाल के  महिंदर को गिरफ्तार किया गया है। वह पिछले 3 साल 4 माह से फ़रार चल रहा था। छह साल पहले दर्ज इस मुकदमे में शामिल कुल 132 आरोपियों में से अब तक 118 दोषियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और बाकी की सक्रियता के साथ तलाश की जारी है।

इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि ब्लॉक ढिल्लवां के अधीन आते गाँव महमदवाल के गरीब और बेघरों के लिए भारत सरकार की इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत साल 2012 में ग्राम पंचायत को प्राप्त कुल 13,50,000 रुपए की ग्रांट को समकालीन ए.डी.सी. विकास- कम-मुख्य कार्यकारी अफ़सर ज़िला परिषद कपूरथला सतीश चंद्र वशिष्ठ ने आसा सिंह सरपंच गाँव महमदवाल और कुलवंत सिंह पंचायत सचिव के साथ मिलीभगत करके अयोग्य लाभार्थियों के नाम पर अलग अलग चैक काट कर उस ग्रांट को खुर्द-बुर्द कर दिया था। उन्होंने बताया कि उपरांत डिप्टी कमिशनर कपूरथला की सिफारिश पर अलग अलग अधिकारियों की पाँच सदस्यीय कमेटी ने फिजिकल वैरीफिकेशन की तो ज़िला कपूरथला में पड़ते 31 गाँवों के 411 अयोग्य लाभार्थियों को साल 2011-12 के दौरान 1,80,00,000 रुपए की नाजायज अदायगी की गई पाई गई।

इस सम्बन्ध में विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से 132 दोषियों के खि़लाफ़ मुकदमा नंबर 01 तारीख़ 03-02-17 को आई.पी.सी. की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13(1), 13(2) के अधीन विजीलैंस ब्यूरो के थाना जालंधर रेंज में दर्ज किया गया था। इस केस में महिंदर निवासी गाँव महमदवाल को पड़ताल के उपरांत तारीख़ 16-12-2019 को नामज़द किया गया था, जिसको आज गिरफ्तार किया गया है।

प्रवक्ता ने बताया कि उक्त आरोपी ने अयोग्य लाभार्थी होते हुए इस इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत कच्चे मकानों को पक्का बनाने के लिए 03-03-2012 और 07-03-2012 को अलग-अलग चैकों के द्वारा कुल 45,000 रुपए की मिली ग्रांट गाँव महमदवाल के सरपंच आसा सिंह और पंचायत सचिव कुलवंत सिंह की मिलीभुगत के साथ हड़प ली थी।

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