नौवें पातशाह के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित राज्य की झांकी फिजां में बिखेरेगी रुहानियत का रंग
CHANDIGARH: गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस बार पंजाब की झाँकी, शाश्वत मानवीय नैतिक-मूल्यों, धार्मिक सह-अस्तित्व और धार्मिक स्वतंत्रता को बरकरार रखने की ख़ातिर अपना महान जीवन कुर्बान करने वाले नौवें पातशाह श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के सर्वोच्च बलिदान को दृश्यमान करेगी।
फुल ड्रैस रिहर्सल से पहले मीडिया के साथ जानकारी साझा करते हुए पंजाब सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि श्री गुरु तेग़ बहादुर जी ने अमृतसर में 1 अप्रैल, 1621 को जन्म लिया। मुग़लों के विरुद्ध लड़ाई के दौरान बहादुरी दिखाने पर नौवें पातशाह को उनके पिता एवं छठे पातशाह श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने तेग़ बहादुर (तलवार के धनी) का नाम दिया। ‘हिंद दी चादर’ के तौर पर जाने जाते महान दार्शनिक, आध्यात्मिक रहनुमा और कवि श्री गुरु तेग़ बहादुर जी ने 57 श्लोकों सहित 15 रागों में गुरबानी रची, जिसको दसवें पिता श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में शामिल किया।
नौवें पातशाह ने श्री गुरु नानक देव जी के मानवता के प्रति प्रेम, शांति, समानता और भाईचारे के शाश्वत संदेश का प्रचार करने हेतु दूर-दूराज़ तक यात्राएं की। औरंगज़ेब की कट्टर धार्मिक नीति और ज़ुल्म का सामना कर रहे कश्मीरी पंडितों की गाथा सुन कर गुरू साहिब ने मुग़ल बादशाह को चुनौती दी। इस्लाम कबूलने से इन्कार करने पर मुग़ल बादशाह के आदेश पर नौवें पातशाह को 11 नवंबर, 1675 को चाँदनी चौक, दिल्ली में शहीद कर दिया गया।
नौवें पातशाह श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व को दर्शाती समूची झाँकी चारों ओर रूहानियत की आभा बिखेरेगी। ट्रैक्टर वाले अगले हिस्से पर पवित्र पालकी साहिब सुशोभित होगी। ट्रेलर वाले हिस्से के शुरू में ‘प्रभात फेरी’ दिखाई जाएगी और संगत कीर्तन करती दिखाई देगी। ट्रेलर के आखिऱी हिस्से में गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहिब को दिखाया गया है, जो उस जगह स्थापित किया गया है, जहाँ भाई लक्खी शाह वंजारा जी और उनके पुत्र भाई नगाहिया जी ने गुरू साहिब के बिना शीश के शरीर का संस्कार करने के लिए अपना घर जला दिया था।
यहाँ यह बताने योग्य है कि पंजाब की झाँकी को लगातार पाँचवे साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए चुना गया है। वर्ष 2019 में पंजाब की झाँकी ने शानदार उपलब्धि दर्ज करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया था। तब जलियांवाला बाग़ हत्याकांड की इस झाँकी ने सब तरफ़ वाहवाही बटोरी थी। इससे पहले 1967 और 1982 में भी पंजाब की झाँकी तीसरे स्थान पर रही थी।