CHANDIGARH: शिक्षा विभाग के स्टेट काऊंसिल ऑफ ऐजुकेशनल रिर्सच एंड ट्रेनिंग डायरैक्टोरेट (एस.सी.ई.आर.टी.) और जि़ला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थाएं (डायट) के कामकाज में और कार्यकुशलता लाते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व अधीन पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा बुधवार को इनके कर्मचारियों का अलग काडर बनाने को मंज़ूरी दे दी गई।
पंजाब मंत्रालय की मीटिंग के बाद सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस सम्बन्धी लाए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए यह फ़ैसला किया गया कि एस.सी.ई.आर.टीज़/डायटज़ के कर्मचारियों के लिए अलग नियम नोटीफायी किये जाएँ। मौजूदा समय में एस.सी.ई.आर.टी./डायट दोनों के लिए सभी कर्मचारी डी.पी.आई. (स्कूल शिक्षा) डायरैक्टोरेट द्वारा तैनात किये जाते थे।
यह फ़ैसला एस.सी.ई.आर.टी./डायटज़ के ग्रुप ए, बी और सी काडर के कर्मचारियों के नियमों को नोटीफायी करने का रास्ता साफ करेगा, जिससे राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के पास डायटज़ का अलग काडर बनाने के किये वायदे की पालना करेगा। यह फ़ैसला विद्यार्थियों को गुणवत्ता भरपूर शिक्षा देने के लिए अध्यापकों के प्रशिक्षण के मानक में और सुधार करेगा। जि़क्रयोग्य है कि भारत सरकार द्वारा देश के लगभग सभी राज्यों में अलग काडर बनाने की पैरवी की जा रही है।
‘पढ़ो पंजाब पढ़ाओ पंजाब’ प्रोजैक्ट के शुरू होने के साथ यह ज़रूरी हो गया है कि डायटज़ को स्कूलों में क्लास रूम शिक्षा के साथ पक्का तालमेल स्थापित करते हुए मज़बूत किया जाये और अध्यापकों के तजुर्बे भी साझे किये जाएँ। अध्यापक शिक्षा की केंद्रीय स्पांसर स्कीम के अधीन भारत सरकार की नीति के मुताबिक डायटज़ हरेक जिले में स्थापित की गई हैं। मौजूदा समय में पंजाब में 17 डायटज़ हैं (हरेक पुराने जिले में एक है) जबकि नये बने जिले तरन तारन, बरनाला, पठानकोट, फाजि़ल्का और मोहाली में कोई डायट नहीं है।
इस स्कीम के अंतर्गत केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत हिस्सा डालती है। डायटज़ का सारा खर्चा जैसे कि पूँजीगत खर्चा जिनमें अध्यापकों का वेतन शामिल है, बराबर अनुपात में साझी किया जाता है। मौजूदा समय में डायटज़ ई.टी.टी. अध्यापकों को सिफऱ् पूर्व सेवा प्रशिक्षण देता हैं। यह अध्यापक पहली से पाँचवी कक्षा तक प्राईमरी स्कूलों में नियुक्त होते हैं।