पंजाब पुलिस ने 6 वर्षीय दलित बच्ची के साथ बलात्कार और कत्ल मामले में 10 दिनों से भी कम समय में चालान पेश किया

राज्य सरकार द्वारा विशेष वकील की नियुक्ति, अदालत में मुकदमे को फास्ट ट्रैक किए जाने की मांग

CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के आदेशों पर तेज़ी से अमल करते हुए पंजाब पुलिस ने 10 दिनों से भी कम समय में जाँच पूरी करते हुए होशियारपुर में 6 वर्षीय दलित बच्ची के साथ बलात्कार और कत्ल मामले में शुक्रवार को चालान पेश कर दिया गया। 

इस मामले की कार्यवाही तेज़ी से चलाने के लिए एक विशेष वकील की नियुक्ति भी की गई है। राज्य सरकार ने इस मामले में मुकदमे को फास्ट ट्रैक किए जाने की माँग की है, जिससे मुलजि़मों का शिकार बनी छह वर्षों की बच्ची को तेज़ी से न्याय मिल सके। 

इस मामले कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाथरस मामले के साथ तुलना करके राजनैतिक रंगत दी थी, जिसकी जांच अब सी.बी.आई. कर रही है, में टांडा गाँव में नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार करके उसका कत्ल करने और उसके बाद उसे जला देने वाले दोनों मुलजि़मों को 21 अक्टूबर की रात को गिरफ्तार कर लिया गया था।

भाजपा ने इसको अपने राजनैतिक फायदे के लिए बरतने की कोशिश के तौर पर इस मामले की तुलना हाथरस मामले के साथ की थी, जहाँ कि पीडि़ता के परिवार को अभी भी इन्साफ नहीं मिला और उनको पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा परेशान किया जा रहा है, जिस कारण उन्होंने उत्तर प्रदेश से बाहर यह मामला तबदील किए जाने की माँग की है। 

होशियारपुर मामले का गंभीर नोटिस लेते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह, जिनके पास गृह विभाग भी है, ने पंजाब पुलिस को 10 दिनों के अंदर अपनी चार्जशीट (आरोप पत्र) दाखि़ल करने के हुक्म दिए थे।

मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों की पालना करते हुए पुलिस ने इस मामले की सिफऱ् आठ दिनों में जांच पूरी करके रिकॉर्ड 9 दिनों में अपनी अंतिम रिपोर्ट आज नीलम अरोड़ा की विशेष अदालत में पेश कर दी।  इस मामले में की गई जांच-पड़ताल, जोकि डी.एस.पी. (औरतों के खि़लाफ़ अपराध) होशियारपुर माधवी शर्मा द्वारा एस.एस.पी. नवजोत माहल की निगरानी अधीन की गई थी, संबंधी जानकारी देते हुए डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने बताया कि जांच-पड़ताल के दौरान बेहद सर्तकता बरती गई थी और जांच बड़े ही पेशेवाराना ढंग से तेज़ी से की गई थी।

वारदात वाली जगह से सबूत इकठ्ठा करने के लिए फोरेंसिक टीमों को बुलाया गया था, जबकि अत्याधुनिक लैबोरेट्रियों में फोरेंसिक प्रशिक्षण के लिए तकनीकी सबूत और डी.एन.ए. के नमूने लिए गए थे। उन्होंने आगे बताया कि मृतक बच्ची का पोस्टमार्टम मैडीकल अफसरों के एक बोर्ड द्वारा किया गया है।

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