बिजली संकट में डूबा पंजाब: माल गाडिय़ां न चलने से कोयले का भंडार खत्म

आखिरी पावर प्लांट भी बंद होने के कारण उपभोक्ताओं ने बड़े बिजली कटों का किया सामना

CHANDIGARH: रेलवे की तरफ से माल सप्लाई करने वाली रेल गाडिय़ों का यातायात लंबे समय से मुअत्तल किये जाने के नतीजे के तौर पर कोयले का स्टाक ख़त्म होने के कारण पंजाब को आज बिजली के बड़े कटों का सामना करना पड़ा।

राज्य के आखिरी पावर प्लांट जी.वी.के. थर्मल के बंद होने के कारण दिन के दौरान बिजली की कमी में 1000-1500 मेगावाट वृद्धि के मद्देनजऱ, बिजली विभाग के पास सभी रिहायशी, व्यापारिक और कृषि खपतकारों को मंगलवार शाम से बिजली के कट लगाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।

एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार मौजूदा समय राज्य में दिन के समय बिजली की माँग लगभग 5100-5200 मेगावाट है और रात के समय करीब 3400 मेगावाट है। दूसरी तरफ़, सप्लाई ज़रूरत से बहुत कम है क्योंकि दिन के समय रोज़मर्रा के 4-5 घंटों के लिए सिफऱ् सब्ज़ी फीडरों (800 मेगावाट) की कृषि बिजली (एपी) लोड सप्लाई की जा रही है। मौजूदा समय अन्य ए.पी. लोड (लगभग 300 मेगावाट) कम है।

प्रवक्ता ने बताया कि स्थिति गंभीर बनी हुई है क्योंकि पावरकॉम के पास कोई भी उत्पादन नियंत्रण नहीं बचा और बिजली की मार्केट दरें ज़्यादातर परिवर्तनशील चल रही हैं और किसी भी समय इस में विस्तार हो सकता है जिसके नतीजे के तौर पर बिजली खरीद की लागत में भी वृद्धि हुयी है।

मार्केट दरों में वृद्धि के कारण, दिन के समय बिजली की कमी कम होने के कारण, आज प्रात:काल सभी एपी /सब्जियां और अर्बन पैटर्न पावर सप्लाई (यू.पी.एस.) पर ग्रामीण फीडरों में लोट का विभाजन किया जाना था। प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के विभिन्न फीडरों पर दोपहर 4 बजे के बाद रोज़मर्रा के 4-5 घंटों के लिए नियमित तौर पर लोड का विभाजन किया जा रहा है, जबकि ए.पी. /सब्जियों सम्बन्धी सप्लाई भी कम की जा रही है।

और जानकारी देते हुये प्रवक्ता ने बताया कि आज जी.वी.के. (2&270 मेगावाट) का एक यूनिट जो दोपहर करीब 12 बजे काम कर रहा था, शाम 5बजे कोयले का भंडार पूरी तरह से ख़त्म होने के कारण बंद हो गया जिससे स्थिति और भी खऱाब हो गई है। अन्य प्राईवेट थर्मल पावर प्लांट एन.पी.एल. (2&660 मेगावाट) और टी.एस.पी.एल. (3&660 मेगावाट) में पहले ही कोयला ख़त्म होने के कारण काम बंद हो चुका है।

इस समय राज्य के रोपड़ और लैहरा मोहब्बत के थर्मल पावर स्टेशन (4&210 मेगावाट + 2&210 मेगावाट + 2&250 मेगावाट = 1760 मेगावाट) भी बंद हो गए हैं। हालाँकि, जीवीके में बिजली पैदा करने के घाटे को पूरा करने और व्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने के लिए इन प्लांटों में से हर एक यूनिट को आज शाम तक जोड़ा जायेगा।

संयोगवश, आम हालत में, राज्य में बिजली सम्बन्धी दिन के समय माँग आम तौर पर नीचे दिए स्रोतों से पूरी की जाती है:-

  • सैंटर पब्लिक सैक्टर स्टेशन (पंजाब का हिस्सा /लम्बी मियाद की बिजली)- 2500 मेगावाट हाईड्रो पावर स्टेशनों (375)
  • जी.वी.के. थर्मल (1यूनिट) – 250 मेगावाट नवीनकरणीय (मुख्य तौर पर दिन के समय सौर ऊर्जा) – 450 मेगावाट
  • बिजली आदान -प्रदान /टैंडरों से खरीद – 2700 मैगावाट

राज्य सरकार की दिन के समय देनी बनती तकरीबन 1070 मेगावाट बिजली में कटौती करने के बाद यह कुल 5200 मेगावाट बनती है, जोकि आम हालत में राज्य के रोज़मर्रा की औसतन बिजली माँग को पूरा करने के लिए काफ़ी है। 


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