अंधेरे में डूूब सकता है पंजाब, पावर प्लांटों में कोयले का संकट गहराया

किसानों के रेल रोको आंदोलन से यूरिया-डी.ए.पी. की सप्लाई और अनाज की ढुलाई भी बुरी तरह प्रभावित, सरकार ने किसानों से माल गाड़ियां निकलने देने की विनती की

CHANDIGARH: पंजाब सरकार ने किसान भाईचारे के हित में किसानों को अपने रेल रोको आंदोलन में ढील देने के लिए अपील की है, क्योंकि इससे बिजली, यूरिया-डी.ए.पी. की सप्लाई और अनाज की ढुलाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार किसानों को ज़रूरी वस्तुओं की पूर्ति करने के लिए माल गाड़ियां निकलने देने की विनती की गई है, जिससे राज्य में विशेष रेकों के द्वारा अनाज की ढुलाई, कोयले की सप्लाई के अलावा यूरिया/डी.ए.पी. की सप्लाई को यकीनी बनाया जा सके।

प्रवक्ता ने बताया कि रेल रोको आंदोलन के लम्बा समय चलने से स्थिति और गंभीर हो जाएगी, जिससे किसानों के हितों को चोट पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि कोयले की ग़ैर-मौजुदगी से बिजली सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हो सकती है और युरिया/डी.ए.पी. की कमी से साल 2020-21 के रबी सीजन के दौरान गेहूँ की बिजाई पर प्रभाव पडऩे से फ़सल का उत्पादन भी घटेगा। प्रवक्ता ने आगे बताया कि किसान के संघर्ष के हिस्से के तौर पर रेल सेवा में विघ्न पडऩे से राज्य की युरिया और डी.ए.पी की ज़रूरत पूरी करने में रुकावट पैदा हो सकती है, क्योंकि इस समय पर राज्य को 13.5 लाख मीट्रिक टन युरिया अपेक्षित है, परन्तु आज तक सिफऱ् 1.7 लाख मीट्रिक टन स्टॉक ही मौजूद है।

सांकेतिक फोटो।

इसी तरह राज्य को 6 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. की ज़रूरत है, जबकि इस समय केवल 4.6 लाख मीट्रिक टन स्टॉक मौजूद है। किसानों के आंदोलन के कारण अनाज की ढुलाई पर पड़ रहे बुरे प्रभावों का जि़क्र करते हुए प्रवक्ता ने खुलासा किया कि 10 लाख मीट्रिक टन अनाज प्रभावित हुआ है। अब तक राज्य में खऱीद एजेंसियों के 115 लाख मीट्रिक टन गेहूँ के भंडार हैं और एफ.सी.आई. का 25 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का भंडार है। राज्य में और 65 लाख मीट्रिक टन चावल पड़ा है और एक दिन में औसतन एक लाख मीट्रिक टन की ढुलाई पीछे पड़ रही है। बारदाने की तकरीबन 24,480 गाँठें दिल्ली और मुरादाबाद में फंसीं हुई हैं, जिनमें राज्य एजेंसियों की 22800 और एफसीआई की 1680 गाँठें हैं। कोलकाता से भेजी जाने वाली और 7480 गाँठों के भी फंसने की संभावना है।

प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में बारदाने की पहले ही कमी है और समय पर बारदाना न पहुँचने के कारण तरन तारन, मानसा, फिऱोज़पुर और फाजि़ल्का जि़लों की स्थिति को प्रभावित करेगा। आंदोलन से पहले राज्य सरकार रोज़ाना की 30 से 35 रेक भर रही थी। प्रवक्ता ने आगे कहा कि रेल मार्ग बंद करके किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के कारण थर्मल पावर स्टेशनों को कोयले की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और पहले से भेजे गए कोयले के रैक फंस गए हैं और थर्मल पावर स्टेशनों तक नहीं पहुँच सके। अब तक प्रक्रिया अधीन कोयले के रेकों की स्थिति का जि़क्र करते हुए प्रवक्ता ने बताया कि तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के पास 38 रैक, नाभा पावर लिमिटेड (एनपीएल), राजपुरा (16 रैक), जीवीके लिमटिड, श्री गोइन्दवाल साहिब (8 रैक), गुरू गोबिंद सिंह सुपर थर्मल प्लांट, रोपड़ (3 रैक) और गुरू हरगोबिन्द थर्मल प्लांट, लेहरा मोहब्बत के पास 4 रैक हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि किसानों के आंदोलन के कारण कोयले के रेकों की यातायात पूरी तरह रुक जाने के कारण कोयले की कोई निकासी नहीं हो रही और कोल इंडिया लिमटिड ने पंजाब के थर्मल पावर स्टेशनों को कोयले की और लोडिंग रोक दी है। इन थर्मल प्लांटों में कोयले के स्टॉक की स्थिति को नाजुक बताते हुए प्रवक्ता ने बताया कि एनपीएल के पास 6.05 दिनों के लिए 1.05 लाख मीट्रिक टन कोयले के स्टॉक की सप्लाई, टीएसपीएल के पास 2.79 दिनों के लिए 93,949 मीट्रिक टन, जीवीके पास 0.62 दिनों के लिए 4341 मीट्रिक टन, जीजीएसटीटीपी रोपड़ के पास 6.16 दिनों के लिए 85, 618 और जीएचटीपी लहरा मोहब्बत के पास 4.22 दिनों के लिए 59,143 मीट्रिक टन कोयले के स्टॉक की सप्लाई है। थर्मल पावर स्टेशनों पर कोयले का भंडार बहुत तेज़ी से ख़त्म हो रहा है और यदि किसानों द्वारा आंदोलन लम्बे समय तक जारी रखा जाता है तो यह अंदेशा है कि कोयले की मांग के कारण थर्मल यूनिट बंद होने के कारण राज्य में बिजली की कटौती लगानी पड़ेगी।

सांकेतिक फोटो।

हालांकि, बिजली का प्रबंध सभी उपलब्ध स्रोतों से किया जाता है फिर भी राज्य की बिजली की ज़रूरत को पूरा करने के लिए राज्य के अंदर बिजली उत्पादन की ज़रूरत होगी, जिसके लिए ताप बिजली घरों को कोयले की नियमित सप्लाई अपेक्षित है। प्रवक्ता ने कहा कि यदि किसानों के आंदोलन के कारण कोयले की यातायात प्रभावित रहती है तो कोयले के उपलब्ध स्टॉक के साथ थर्मल पावर स्टेशन लंबे समय तक बिजली उत्पादन नहीं कर पाएंगे। जि़क्रयोग्य है कि सी.एम.डी. पी.एस.पी.सी.एल. द्वारा 5 अक्तूबर, 2020 को अर्ध सरकारी पत्र द्वारा रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली के मैंबर (कार्य और कारोबार) को पहले ही विनती की जा चुकी है, जिससे माइन और पटरी के नज़दीक की जगह से कोयले की लोडिंग पर लगी रोक को हटाया जा सके और ताप बिजली घरों को प्राथमिकता के आधार पर कोयले के रेकों की यातायात को यकीनी बनाया जा सके। हालाँकि, किसानों के आंदोलन के कारण रेलवे कोयले की लदाई फिर शुरू करने और रेकों की यातायात के कामों में असमर्थता दिखा रहा है।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा, सुखजिन्दर सिंह रंधावा और सुखबिन्दर सिंह सरकारिया शामिल हैं। यह कमेटी अलग-अलग किसान यूनियनों/एसोसिएशनों के नुमायंदों के साथ बातचीत करने के लिए बनाई गई है, जो केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए कृषि कानूनों के विरुद्ध राज्य स्तरीय प्रदर्शन कर रहे हैं।

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